मुंबई की हवा में सांस लेना मुश्किल होता जा रहा है! सड़कों पर दौड़ती सैकड़ों गाड़ियों से निकलता धुआं किसी ज़हर से कम नहीं लगता। प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए RTO ने भले ही कार्रवाई शुरू की थी, लेकिन क्या अब इस अभियान की रफ़्तार थम गई है?
प्रदूषण आज मुंबई के लिए एक बहुत बड़ी मुसीबत है। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। इसी समस्या से निपटने के लिए, मुंबई के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) ने प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों के खिलाफ एक मुहिम शुरू की थी। खासतौर पर, बिना वैध प्रदूषण प्रमाणपत्र (PUC) वाली और निर्माण सामग्री को खुलेआम ढोने वाली गाड़ियों की जांच पर ज़ोर दिया गया था।
नवंबर 2023 से RTO काफी सक्रिय दिख रहा था। मगर, लगता है जैसे मार्च के बाद से उनका उत्साह ठंडा पड़ गया है। आंकड़े बताते हैं कि गाड़ियों के निरीक्षण में हर महीने लगभग 4 हज़ार की गिरावट आई है। RTO की इस जांच में, एक चौंकाने वाली बात सामने आई कि सिर्फ 14% गाड़ियां ही प्रदूषण फैलाने के मामले में पकड़ी गईं। जबकि, मुंबई में रोज़ हज़ारों गाड़ियां काला धुआं उड़ाती हुई दिख जाती हैं! इस वजह से, RTO की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं।
ऐसा लगता है कि प्रदूषण-रोधी अभियान को वो तेज़ी नहीं मिल रही है, जिसकी उम्मीद थी। जिस रफ़्तार से ये शुरू हुआ था, उसे देखते हुए लग रहा था कि मुंबई की हवा जल्द ही कुछ साफ़ होगी। मगर, घटते निरीक्षण बताते हैं कि मामला कुछ और ही है। क्या RTO को और ज़्यादा सख्ती दिखाने की ज़रूरत है?
आइए, अभियान के आंकड़ों पर एक नज़र डालते हैं:
अभियान के पहले 15 दिनों में ही लगभग 8,000 गाड़ियों की जांच हुई और 1200 से भी ज़्यादा गाड़ियों पर जुर्माना लगा।
मगर, पांच महीने में सिर्फ 30,781 गाड़ियों का निरीक्षण किया गया, जिनमें से सिर्फ 4,358 प्रदूषण के मामले में दोषी निकलीं।