मुंबई

मुंबई के कचरे से बनेगी बिजली, सालाना पैदा होंगी 17 मिलियन यूनिट

Mumbai waste to energy plant
बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) देवनार लैंडफिल पर एक कचरा-से-ऊर्जा (W2E) संयंत्र बनाने जा रही है। यह संयंत्र प्रतिदिन 600 मीट्रिक टन कचरे को रिसाइकिल करके कम से कम 17 मिलियन यूनिट बिजली पैदा कर सकेगा।

कचरा-से-ऊर्जा संयंत्र (W2E) कचरे को जलाकर बिजली बनाते हैं। इस तरह शहरों में कचरे की मात्रा कम करने में मदद मिलती है।

बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) देवनार लैंडफिल पर एक कचरा-से-ऊर्जा (W2E) संयंत्र बनाने जा रही है। यह संयंत्र प्रतिदिन 600 मीट्रिक टन कचरे को रिसाइकिल करके कम से कम 17 मिलियन यूनिट बिजली पैदा कर सकेगा।

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मुंबई में रोज़ाना 6,385 मीट्रिक टन कचरा निकलता है जिसमें से तकरीबन 500 से 600 मीट्रिक टन देवनार लैंडफिल में जाता है। वहां यह कचरा बिना प्रोसेस किए सीधे डंप किया जाता है।

W2E संयंत्र के बनने से एक तो मुंबई के कचरे की मात्रा कम होगी और साथ ही बिजली की समस्या से भी राहत मिलेगी। इसके अलावा, इस प्रक्रिया से देवनार लैंडफिल की 120 हेक्टेयर ज़मीन भी खाली होगी जिसका इस्तेमाल अन्य उपयोगी चीज़ों के लिए किया जा सकेगा।

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BMC ने साल 2022 में इस संयंत्र के निर्माण के लिए एक सलाहकार नियुक्त किया था। अब तक परियोजना का 10 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। BMC ने इस संयंत्र के निर्माण की लागत 504 करोड़ रुपये आंकी है और इसे 2026 तक चालू करने का लक्ष्य रखा है।

BMC के अतिरिक्त नगर आयुक्त सुधाकर शिंदे का कहना है, “मूल उद्देश्य नियमित रूप से उत्पन्न होने वाले कचरे का बेहतर इस्तेमाल करना है। इससे जो बिजली बनेगी उसका इस्तेमाल सड़कों, अस्पतालों आदि को रोशन करने के लिए किया जा सकता है। यह लैंडफिल 100 हेक्टेयर से अधिक में फैली है और हमारा लक्ष्य इस ज़मीन को भी वैज्ञानिक तरीके से कचरे से मुक्त करना है। लंबे समय में, हम इस ज़मीन का उपयोग किसी ऐसे उद्देश्य के लिए करना चाहते हैं जिससे नागरिकों को लाभ हो।”

मुंबई के कचरे से बनेगी बिजली

चित्र केवल प्रतीकात्मक है

मुंबई का यह कचरा-से-ऊर्जा संयंत्र पर्यावरण की दृष्टि से काफ़ी फ़ायदेमंद साबित होगा। उम्मीद की जाती है कि इससे मुंबई की कचरे की समस्या का समाधान करने और बिजली उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।

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