Mumbra Train Tragedy: मुंबई की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोकल ट्रेनें शहर की रीढ़ मानी जाती हैं। लेकिन 9 जून 2025 को मुंब्रा रेलवे स्टेशन के पास हुआ एक दुखद हादसा, जिसे मुंब्रा ट्रेन त्रासदी (Mumbra Train Tragedy) के नाम से जाना जा रहा है, ने इस रीढ़ को झकझोर दिया। इस हादसे में चार यात्रियों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए। सेंट्रल रेलवे ने इस घटना की गहराई से जांच के लिए एक अपील जारी की है, जिसमें यात्रियों, चश्मदीद गवाहों और रेलवे कर्मचारियों से जानकारी साझा करने का अनुरोध किया गया है। यह कहानी उस सुबह की है, जब एक सामान्य दिन अचानक मातम में बदल गया।
सुबह करीब 9:01 बजे, मुंब्रा और दीवा स्टेशनों के बीच दो लोकल ट्रेनें एक-दूसरे के पास से गुजर रही थीं। ये ट्रेनें, एक कसारा से छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) की ओर और दूसरी CSMT से करजत की ओर जा रही थीं, उस वक्त भीड़ से भरी हुई थीं। यात्रियों की भीड़ के कारण कई लोग फुटबोर्ड पर लटककर यात्रा कर रहे थे। अचानक, एक तेज मोड़ पर कुछ यात्रियों के बैग आपस में टकराए, जिसके कारण उनका संतुलन बिगड़ गया और वे चलती ट्रेन से नीचे गिर गए। इस हादसे में 13 लोग प्रभावित हुए, जिनमें से चार की मौत हो गई और बाकी घायल हो गए। मृतकों में 23 साल के केतन दिलीप सरोज, 27 साल के राहुल संतोष गुप्ता, 44 साल के मयूर शाह और 34 साल के रेलवे पुलिस कॉन्स्टेबल विक्की बाबासाहेब मुख्यादल शामिल थे।
सेंट्रल रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस हादसे की जांच के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति बनाई गई है। इस समिति में वरिष्ठ डिवीजनल सिक्योरिटी कमिश्नर, वरिष्ठ डिवीजनल मैकेनिकल इंजीनियर, वरिष्ठ डिवीजनल इलेक्ट्रिकल इंजीनियर, वरिष्ठ डिवीजनल इंजीनियर और वरिष्ठ डिवीजनल ऑपरेशंस मैनेजर शामिल हैं। लेकिन जांच में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि सीसीटीवी फुटेज स्पष्ट नहीं हैं और चश्मदीद गवाहों के बयान भी विरोधाभासी हैं। एक चश्मदीद, दीपक शिरसाठ, जो उल्हासनगर के रहने वाले हैं, ने बताया कि एक ट्रेन के फुटबोर्ड पर लटक रहे यात्री के बैग ने दूसरी ट्रेन के यात्रियों को छुआ, जिसके बाद लोग एक के बाद एक गिरने लगे। उनके दोस्त केतन सरोज भी इस हादसे का शिकार हुए।
इस हादसे ने मुंब्रा-दीवा खंड की खतरनाक स्थिति को फिर से उजागर किया है। इस हिस्से में तेज मोड़ और भीड़भाड़ के कारण पहले भी कई हादसे हो चुके हैं। एक अन्य यात्री, दीपक वाल्वे, जो उल्हासनगर से रोजाना ट्रेन में सफर करते हैं, ने बताया कि यह उनके लिए रोजमर्रा की बात है। लेकिन इस बार हादसा इतना बड़ा हुआ कि इसने सबका ध्यान खींच लिया। एक अन्य दुखद कहानी प्राची साल्वे की है, जिनके पति केवूर साल्वे की पिछले साल इसी खंड में एक हादसे में मौत हो गई थी। प्राची ने बताया कि उनके पति की मृत्यु के बाद भी रेलवे ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, और यह हादसा उनके लिए पुराने जख्मों को फिर से ताजा कर गया।
सेंट्रल रेलवे ने इस हादसे के बाद एक सार्वजनिक अपील जारी की है, जिसमें लोगों से घटना के बारे में कोई भी जानकारी साझा करने का अनुरोध किया गया है। रेलवे के प्रवक्ता ने कहा कि यह केवल एक अपील नहीं, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए सामूहिक जिम्मेदारी का आह्वान है। जानकारी देने वालों को अपनी पहचान के साथ तीन कार्यदिवसों के भीतर विवरण जमा करना होगा। यह जानकारी वरिष्ठ डिवीजनल सेफ्टी ऑफिसर एस.एस. सोनावणे को दी जा सकती है, जिनसे 8828119730 पर संपर्क किया जा सकता है या srdsobbcr@gmail.com पर ईमेल भेजा जा सकता है। रेलवे का कहना है कि ये जानकारियां हादसे की पूरी तस्वीर समझने, खामियों को पहचानने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी हैं।
हादसे के बाद घायलों को तुरंत छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल, कालवा ले जाया गया। दो घायलों, शिवा गावली और अनिल मोरे, की हालत गंभीर होने के कारण उन्हें जुपिटर अस्पताल में भर्ती किया गया। अनिल के बेटे आशीष, जो यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं, ने बताया कि उनके पिता को गंभीर चोटें आई हैं और उन्हें O-निगेटिव ब्लड की जरूरत है। अस्पताल ने सोशल मीडिया पर ब्लड डोनेशन की अपील भी की है। इस बीच, रेलवे ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सभी नई लोकल ट्रेनों में ऑटोमैटिक डोर-क्लोजर सिस्टम लगाने का फैसला किया है। मौजूदा ट्रेनों में भी इस सिस्टम को जोड़ा जाएगा।
इस हादसे ने मुंबई की लोकल ट्रेनों की भीड़ और सुरक्षा की कमी को एक बार फिर सामने ला दिया। मुंब्रा स्टेशन, जो शहर के बाहरी इलाके में है, हमेशा से भीड़भाड़ वाला रहा है। एक स्थानीय कार्यकर्ता नाजिम अंसारी ने बताया कि इस खंड में दो बड़े मोड़ हैं, जो ट्रेनों को झुकने पर मजबूर करते हैं। इससे फुटबोर्ड पर यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए खतरा बढ़ जाता है। इस हादसे ने न केवल रेलवे की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि उन सामाजिक-आर्थिक कारणों को भी उजागर किया है, जिनके कारण लाखों लोग रोजाना उपनगरीय क्षेत्रों से शहर के केंद्र तक यात्रा करने को मजबूर हैं।