Mutton in Congress Politics: कांग्रेस पार्टी, जो कभी देश की सबसे बड़ी सियासी ताकत थी, आजकल अपनी ही कहानियों से चर्चा में है। हाल ही में एक पूर्व कांग्रेसी नेता और अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कुछ ऐसा कहा, जिसने सबके कान खड़े कर दिए। उन्होंने कांग्रेस के बड़े नेता मल्लिकार्जुन खरगे को लेकर एक हैरान करने वाला दावा किया। गौरव का कहना है कि कांग्रेस में एक शख्स को सिर्फ इसलिए दो बार राज्यसभा का टिकट मिल गया, क्योंकि वह खरगे साहब को मटन खिलाने में माहिर है। यह बात सुनकर नई पीढ़ी के लोग सोच में पड़ गए कि क्या सचमुच पार्टी में योग्यता की जगह चाटुकारिता ने ले ली है? आइए, इस पूरी कहानी को समझते हैं।
यह सब शुरू हुआ एक पॉडकास्ट से। पत्रकार आदेश रावल के साथ बातचीत में गौरव वल्लभ ने कांग्रेस छोड़ने की वजह और पार्टी के हालात पर खुलकर बोला। यह इंटरव्यू 22 मार्च 2025 को सामने आया। गौरव ने बताया कि कांग्रेस में अब काम और मेहनत से ज्यादा कुछ और चलता है। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि एक शख्स, जो खरगे साहब का करीबी है, उनकी पसंद का मटन लाने की कला में उस्ताद है। गौरव ने हँसते हुए कहा कि उस शख्स को पता है कि दिल्ली में मटन (Mutton) कहाँ सबसे अच्छा मिलता है, खासकर पुरानी दिल्ली की कौन सी दुकान खरगे साहब को भाती है। बस इसी हुनर की वजह से वह दो बार राज्यसभा पहुँच गया। यह सुनकर लगता है कि पार्टी में ऊँचे पद अब मेहनत से नहीं, बल्कि दूसरी चीजों से तय हो रहे हैं।
गौरव ने अपनी बात को और साफ किया। उन्होंने कहा कि वह खुद शुद्ध शाकाहारी हैं और किसी के लिए दाल तक नहीं लाएँगे। लेकिन कांग्रेस में ऐसा माहौल बन गया है कि मटन लाना (मटन लाना) ही किसी की योग्यता बन गया। उन्होंने मजाक में कहा कि उस शख्स के पास न तो दिमाग है, न ज्ञान, बस मटन की दुकान का पता है। यह सुनकर नई पीढ़ी के लिए यह सोचना जरूरी हो जाता है कि क्या सचमुच एक बड़ी पार्टी में ऐसे लोग फैसले ले रहे हैं। गौरव ने यह भी जोड़ा कि उन्हें किसी के खाने से कोई दिक्कत नहीं, लेकिन मटन लाना राज्यसभा की सीट पाने की काबिलियत नहीं होनी चाहिए।
इस इंटरव्यू में गौरव ने कांग्रेस के अंदर के माहौल पर और भी बातें कीं। उनका कहना था कि पार्टी में अब ‘पीए कल्चर’ हावी हो गया है, यानी बड़े नेताओं के निजी सहायक और चापलूस लोग ही सब कुछ तय करते हैं। उन्होंने परिवारवाद और भेदभाव की बात भी उठाई। गौरव ने कहा कि कांग्रेस में मेहनती कार्यकर्ताओं की कद्र नहीं होती, बल्कि जो नेता को खुश रखे, वही आगे बढ़ता है। जब आदेश रावल ने जम्मू-कश्मीर के प्रभारी नासिर हुसैन का नाम लिया, तो गौरव ने हँसकर कहा कि वह किसी का नाम नहीं लेंगे। लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा कि कांग्रेस का हर कार्यकर्ता जानता है कि मटन लाने की कला किसके पास है।
यह बात सुनकर दिमाग में कई सवाल उठते हैं। क्या सचमुच कांग्रेस जैसी पार्टी में अब योग्यता की जगह ऐसी बातें मायने रखने लगी हैं? गौरव वल्लभ ने अपनी नाराजगी साफ जाहिर की। उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस में इसलिए नहीं टिक पाए, क्योंकि वह चाटुकारिता नहीं कर सकते। उनके लिए यह देखना मुश्किल था कि मेहनत करने वालों को पीछे छोड़कर कोई मटन के सहारे आगे बढ़ जाए। यह सुनकर नई पीढ़ी के लोग, जो मेहनत और ईमानदारी में यकीन रखते हैं, जरूर सोच में पड़ जाएँगे।
इस पॉडकास्ट की बातें सोशल मीडिया पर भी खूब फैल रही हैं। लोग गौरव के इस दावे पर हँस भी रहे हैं और गुस्सा भी दिखा रहे हैं। कोई कह रहा है कि यह मजाक की बात है, तो कोई इसे कांग्रेस के पतन का सबूत बता रहा है। खरगे साहब को मटन पसंद होने की बात कोई नई नहीं है, लेकिन इसे राज्यसभा की सीट से जोड़ना एक नया मोड़ लाया है। गौरव ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि पुरानी दिल्ली की मटन दुकानों का पता रखने वाला शख्स अब संसद में बैठा है। यह सुनकर लगता है कि सियासत में अब कुछ भी हो सकता है।
कांग्रेस में मटन लाना (Mutton in Congress) अब एक चर्चा का विषय बन गया है। यह खबर नई पीढ़ी के लिए इसलिए भी खास है, क्योंकि वे चाहते हैं कि सियासत में ईमानदारी और मेहनत को जगह मिले। गौरव वल्लभ का यह बयान सिर्फ एक मजाक नहीं, बल्कि एक बड़ी पार्टी के अंदर की सच्चाई को सामने लाने की कोशिश है। लोग अब इस पर अपनी-अपनी राय दे रहे हैं। कोई इसे हल्के में ले रहा है, तो कोई इसे गंभीरता से देख रहा है।
इस इंटरव्यू ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच भी हलचल मचा दी है। हर कोई यह जानना चाहता है कि गौरव जिस शख्स की बात कर रहे हैं, वह कौन है। हालाँकि गौरव ने नाम नहीं लिया, लेकिन उनकी बातों से साफ है कि वह पार्टी के ढाँचे से खुश नहीं थे। यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। लोग इस पर बात कर रहे हैं और देख रहे हैं कि आगे क्या होता है।