बिहार के ऐतिहासिक स्थल राजगीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का उद्घाटन किया। 815 साल के लंबे इंतजार के बाद नालंदा विश्वविद्यालय एक बार फिर से शिक्षा और ज्ञान का केंद्र बनने के लिए तैयार है। नया कैंपस प्राचीन खंडहरों के पास ही बनाया गया है और इसका विस्तार पुराने विश्वविद्यालय से कहीं अधिक है। इसके निर्माण के लिए बिहार सरकार ने 455 एकड़ जमीन उपलब्ध करवाई है।
विशेषताएँ
नालंदा विश्वविद्यालय का नया कैंपस 455 एकड़ में फैला हुआ है और इसे दुनिया का सबसे बड़ा नेट जीरो ग्रीन कैंपस माना जा रहा है। इसकी इमारतें इस तरह से बनाई गई हैं कि वे गर्मी में ठंडी और सर्दियों में गर्म रहती हैं। यहां एकेडमिक बिल्डिंग्स, भव्य ऑडिटोरियम, विशाल लाइब्रेरी और पावर प्लांट का निर्माण किया गया है।
पढ़ाई के क्षेत्र
वर्तमान में नालंदा विश्वविद्यालय में छह स्कूल ऑफ स्टडीज हैं:
- स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज, फिलॉसफी एंड कंपेरेटिव स्टडीज
- स्कूल ऑफ इंटरनेशनल रिलेशन एंड पीस स्टडीज
- स्कूल ऑफ इकोलॉजी एंड एनवायरनमेंट स्टडीज
- स्कूल ऑफ हिस्टोरिकल स्टडीज
- बिजनेस मैनेजमेंट इन रिलेशन टू पब्लिक पॉलिसी एंड डेवलपमेंट स्टडीज
- स्कूल ऑफ लैंग्वेज एंड लिटरेचर/ह्यूमैनिटीज
इन विषयों में पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज उपलब्ध हैं:
- एमए इन इकोलॉजी एंड एनवायरनमेंट स्टडीज
- एमए इन सस्टेनेबल डेवलपमेंट एंड मैनेजमेंट
- एमए इन बुद्धिस्ट स्टडीज, फिलॉसफी एंड कंपेरेटिव स्टडीज
- एमए इन हिंदू स्टडीज (सनातन)
- एमए इन हिस्टोरिकल स्टडीज
- एमए इन वर्ल्ड लिटरेचर
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय
नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 427 ईस्वी में गुप्त सम्राट कुमारगुप्त प्रथम ने की थी। यह दुनिया का पहला रिहाइशी विश्वविद्यालय था, जिसमें 10,000 से अधिक छात्र और 2,700 शिक्षक थे। यहां शिक्षा, रहना और खाना निःशुल्क था और छात्रों का चयन उनकी योग्यता के आधार पर होता था। यह विश्वविद्यालय भारत समेत कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, ईरान, ग्रीस, मंगोलिया आदि देशों के छात्रों का केंद्र था।
बर्बादी और पुनर्निर्माण
1193 में तुर्क-अफ़गान सैन्य जनरल बख्तियार खिलजी के आक्रमण में नालंदा विश्वविद्यालय बर्बाद हो गया था। इसकी लाइब्रेरी में आग लगा दी गई थी, जिसमें किताबें हफ्तों तक जलती रहीं। लेकिन अब, नई नालंदा यूनिवर्सिटी 2010 में स्थापित की गई है, जिसमें 17 देशों का सहयोग है। इनमें भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, चीन, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया और वियतनाम शामिल हैं।
सरकार का उद्देश्य
भारत सरकार नालंदा विश्वविद्यालय को उसके प्राचीन वैभव के समान शिक्षा का नया केंद्र बनाना चाहती है। नई यूनिवर्सिटी में भी एक विशाल लाइब्रेरी का निर्माण किया गया है, जिससे यह फिर से शिक्षा और ज्ञान का प्रमुख केंद्र बन सके।
नालंदा विश्वविद्यालय की यह नई यात्रा एक सपने के सच होने जैसा है, जो इसे फिर से विश्व भर में शिक्षा का महान केंद्र बनाएगी।
ये भी पढ़ें: मोदी के बिहार दौरे पर नीतीश ने कहा ‘आप आए हैं, बड़ी खुशी की बात है’, जानें क्यों?