महाराष्ट्र

Nanded’s Voting Pattern: लोकसभा में जीत, विधानसभा की सभी सीटों पर हार; नांदेड़ के वोटिंग पैटर्न पर कांग्रेस का सवाल

Nanded's Voting Pattern Congress Victory Raises Questions
महाराष्ट्र की राजनीति में एक अभूतपूर्व चुनावी परिणाम ने सभी को हैरान कर दिया है। नांदेड़ में एक ही दिन में हुए लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों में मतदाताओं ने ऐसा फैसला सुनाया, जिसने राजनीतिक विश्लेषकों को भी चौंका दिया। नांदेड़ का चुनावी पैटर्न (Nanded’s Voting Pattern) इतना असामान्य रहा कि इसने राजनीतिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी है।

इस चुनावी नतीजे की विशेषता यह रही कि नांदेड़ का चुनावी पैटर्न (Nanded’s Voting Pattern) पूरी तरह से अप्रत्याशित था। कांग्रेस ने जहां लोकसभा सीट पर 1,457 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की, वहीं उसी क्षेत्र की सभी छह विधानसभा सीटें हार गई। भोकर, नांदेड़ उत्तर, नांदेड़ दक्षिण, नायगांव, डेगलूर और मुखेड़ – इन सभी विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को पराजय का सामना करना पड़ा।

वोटिंग के आंकड़ों का विश्लेषण करें तो एक दिलचस्प तस्वीर सामने आती है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार चव्हाण रविन्द्र वसंतराव को 5.87 लाख वोट मिले, जबकि भाजपा के डॉ. संतुकराव मारोत्राओ हम्बर्डे को 5.85 लाख वोट प्राप्त हुए। इसी क्षेत्र की विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को कुल मिलाकर मात्र 4.27 लाख वोट ही मिल सके। लोकसभा जीत विधानसभा हार का विरोधाभास (Paradox of Lok Sabha Win Assembly Loss) बताता है कि करीब 1.60 लाख मतदाताओं ने दोनों चुनावों में अलग-अलग दलों को वोट दिया।

प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र की स्थिति पर नजर डालें तो भोकर में भाजपा के चव्हाण श्रीराय अशोकराय ने कांग्रेस के कदम कोंधेकर तिरुपति को पराजित किया। नांदेड़ उत्तर और दक्षिण में शिवसेना (शिंदे गुट) के उम्मीदवारों ने कांग्रेस को मात दी। नायगांव में भाजपा के राजेश पवार, डेगलूर में जितेश रावसाहेब और मुखेड़ में तुषार राठौड़ ने कांग्रेस उम्मीदवारों को हराया।

कांग्रेस वर्किंग कमेटी के स्थायी सदस्य गुरदीप सिंह सप्पल ने इस अजीब स्थिति पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनके अनुसार, हर विधानसभा क्षेत्र में औसतन 26,500 ऐसे मतदाता थे, जिन्होंने लोकसभा में कांग्रेस को वोट दिया लेकिन विधानसभा में अन्य दलों का समर्थन किया। यह आंकड़ा स्थानीय स्तर पर मतदाताओं की बदलती राजनीतिक प्राथमिकताओं को दर्शाता है।

महाराष्ट्र की राजनीति में यह चुनावी नतीजा एक नई बहस का कारण बन गया है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि स्थानीय मुद्दों और राष्ट्रीय राजनीति के प्रति मतदाताओं का दृष्टिकोण अलग-अलग है। वहीं कुछ का कहना है कि यह मतदान पैटर्न स्थानीय नेतृत्व और उम्मीदवारों की लोकप्रियता को भी दर्शाता है।

नांदेड़ में यह उपचुनाव अगस्त में कांग्रेस सांसद वसंतराव चव्हाण के निधन के बाद कराया गया था। इस नतीजे ने महा विकास अघाड़ी गठबंधन के लिए भी चिंता का विषय खड़ा कर दिया है, जिसमें कांग्रेस के साथ शरद पवार की एनसीपी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना शामिल हैं।

स्थानीय स्तर पर इस मतदान पैटर्न के कई कारण हो सकते हैं। विधानसभा क्षेत्रों में स्थानीय मुद्दे, उम्मीदवारों की छवि, और जाति-समीकरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वहीं लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे और बड़े नेताओं की छवि प्रभावी होती है। यह अंतर मतदान पैटर्न में स्पष्ट रूप से दिखाई दिया।

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