बच्चों की पढ़ाई और अनुशासन पर नारायण मूर्ति की राय:इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने हाल ही में एक इवेंट में बच्चों की पढ़ाई और परिवार में अनुशासन को लेकर कुछ महत्वपूर्ण बातें साझा कीं। उनका कहना था कि माता-पिता को अनुशासन में रहकर बच्चों के सामने उदाहरण पेश करना चाहिए। हालांकि, मूर्ति की यह सलाह सोशल मीडिया पर कई प्रतिक्रियाओं का कारण बन गई।
पढ़ाई पर ध्यान चाहिए तो बंद करें टीवी: मूर्ति की सलाह
नारायण मूर्ति ने बेंगलुरु में हुए एक इवेंट में कहा कि अगर माता-पिता अपने बच्चों से पढ़ाई की उम्मीद करते हैं, तो उन्हें सबसे पहले खुद का अनुशासन बनाना होगा। उन्होंने खासतौर पर टीवी देखने की आदत को लेकर कहा कि अगर माता-पिता फिल्में देख रहे हैं और फिर अपने बच्चों से पढ़ाई की उम्मीद कर रहे हैं, तो यह व्यवहारिक नहीं है।
मूर्ति ने यह भी साझा किया कि उनके घर में टीवी देखने पर सख्त पाबंदी थी। शाम 6:30 से 8:30 बजे तक टीवी बंद रहता था, ताकि उनके बच्चे, अक्षता और रोहन, पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकें। उन्होंने बताया कि यह अनुशासन उनके बच्चों की पढ़ाई के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ।
सोशल मीडिया पर उठे सवाल: क्या मूर्ति का सुझाव व्यवहारिक है?
हालांकि, मूर्ति की इस सलाह ने सोशल मीडिया पर बवाल मचा दिया। कई लोगों ने सवाल उठाया कि अगर माता-पिता 70 घंटे प्रति सप्ताह काम कर रहे हैं, तो उनके पास बच्चों के साथ समय बिताने का मौका कैसे मिलेगा। एक यूजर ने पूछा, “अगर माता-पिता सप्ताह में 72 घंटे काम करेंगे, जैसा मूर्ति जी ने पहले सुझाव दिया था, तो वे बच्चों के साथ पढ़ाई में समय कैसे देंगे?”
यहां तक कि कुछ लोगों ने मूर्ति की सलाह को अवास्तविक बताया। उनका कहना था कि आधुनिक समय में माता-पिता के लिए घर और काम के बीच तालमेल बैठाना पहले से ही चुनौतीपूर्ण है। इसके बावजूद, मूर्ति के अनुशासन और समर्पण को भी कई लोगों ने सराहा।
मूर्ति का अनुशासन और समय प्रबंधन
नारायण मूर्ति ने इवेंट में अपने परिवार के अनुशासन का जिक्र करते हुए बताया कि उनकी पत्नी, सुधा मूर्ति, भी बच्चों की पढ़ाई में योगदान देती थीं। उन्होंने यह साझा किया कि उनके घर में न केवल बच्चों के लिए बल्कि माता-पिता के लिए भी अनुशासन जरूरी था। सुधा मूर्ति ने भी टीवी देखने का समय बलिदान कर दिया, ताकि बच्चे पढ़ाई पर ध्यान दे सकें।
मूर्ति के अनुसार, उनके परिवार में पढ़ाई का समय हमेशा निश्चित था। शाम के वक्त और फिर रात के भोजन के बाद रात 9 बजे से 11 बजे तक पढ़ाई जारी रहती थी। उन्होंने इसे अपने बच्चों की शिक्षा के लिए बहुत जरूरी बताया।
सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं
मूर्ति की इस राय पर सोशल मीडिया पर दो अलग-अलग प्रकार की प्रतिक्रियाएं आईं। कुछ लोगों ने मूर्ति की आलोचना की कि उनकी सलाह आम जीवन की वास्तविकता से दूर है, जबकि कुछ ने उनके अनुशासन और समर्पण की सराहना की। एक तरफ जहां कुछ लोग इसे आधुनिक समय में अव्यावहारिक मानते हैं, वहीं दूसरी ओर कई यूजर्स ने उनकी जीवनशैली और उनके परिवार के अनुशासन की तारीफ की।
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