NEET-UG 2025 Scam: मुंबई में नीट-यूजी 2025 घोटाले ने एक बार फिर शिक्षा जगत में हलचल मचा दी है। यह कहानी उन माता-पिता और छात्रों की उम्मीदों और विश्वास की है, जो बेहतर भविष्य के लिए मेहनत करते हैं, लेकिन कुछ लोग उनकी भावनाओं का गलत फायदा उठाने की कोशिश करते हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने हाल ही में दो लोगों, संदीप जयहावर शाह और सलीम पटेल, को गिरफ्तार किया है, जिन पर नीट-यूजी 2025 परीक्षा में अंकों में हेरफेर करने का वादा करके माता-पिता से 90 लाख रुपये की मांग करने का आरोप है। यह मामला न केवल मुंबई बल्कि पूरे देश के लिए एक गंभीर चेतावनी है, क्योंकि यह शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठाता है।
यह सब तब शुरू हुआ जब सीबीआई को सूचना मिली कि कुछ लोग नीट-यूजी 2025 परीक्षा में अंकों को बढ़ाने का दावा करके माता-पिता से भारी रकम वसूल रहे हैं। इस जानकारी के आधार पर, सीबीआई ने एक जाल बिछाया। उनके अधिकारी माता-पिता बनकर संदीप जयहावर शाह से लोअर परेल के एक पांच सितारा होटल में मिले। इस मुलाकात में शाह ने कथित तौर पर 90 लाख रुपये की मांग की, हालांकि बाद में उन्होंने इसे 87.5 लाख रुपये तक कम कर दिया। उनका दावा था कि वे नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के अधिकारियों पर प्रभाव डालकर परीक्षा में वांछित अंक दिला सकते हैं। इस तरह के वादे सुनकर कोई भी माता-पिता, जो अपने बच्चे के भविष्य के लिए चिंतित हो, आसानी से लालच में आ सकता है।
जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि सलीम पटेल और जावेद अली पटेल भी इस रैकेट में शामिल थे। सीबीआई ने पाया कि मंगलवार को इन लोगों ने हवाला चैनल के जरिए 25 लाख रुपये की आंशिक रकम स्वीकार की थी। इतना ही नहीं, अन्य माता-पिता से भी उन्होंने पैसे लिए थे। जब सीबीआई ने सलीम से पूछताछ की, तो वह टालमटोल करने वाले जवाब देता रहा। उसने दावा किया कि यह मीटिंग एक राजीव सिन्हा ने आयोजित की थी, जो अभी तक फरार है। जांच के दौरान सीबीआई को कई अन्य उम्मीदवारों के दस्तावेज भी मिले, जिनके अंकों में हेरफेर के लिए संभवतः इन लोगों को पैसे दिए गए थे।
इस घोटाले ने शिक्षा प्रणाली में विश्वास की नींव को हिला दिया है। नीट-यूजी जैसी प्रतियोगी परीक्षा, जो लाखों छात्रों के लिए मेडिकल कॉलेज में प्रवेश का द्वार है, पहले भी विवादों में रही है। इस बार यह मामला और भी गंभीर है, क्योंकि यह उन लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करता है जो अपने बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं। संदीप जयहावर शाह और सलीम पटेल जैसे लोग इस भरोसे का गलत इस्तेमाल कर रहे थे, जो न केवल गैरकानूनी है, बल्कि नैतिक रूप से भी गलत है।
सीबीआई ने दोनों आरोपियों को सोमवार तक अपनी हिरासत में रखा है, ताकि इस मामले की गहराई तक जांच की जा सके। जांच में यह भी सामने आया कि इस रैकेट में और लोग शामिल हो सकते हैं, जिनके तार एनटीए के कुछ अधिकारियों से भी जुड़े हो सकते हैं। यह एक जटिल जाल है, जिसमें पैसों के लेन-देन से लेकर हवाला चैनल तक शामिल हैं। सीबीआई अब उन सभी दस्तावेजों की जांच कर रही है, जो इस घोटाले से जुड़े हो सकते हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कितने छात्र और माता-पिता इस धोखाधड़ी का शिकार हुए।
यह मामला हमें सोचने पर मजबूर करता है कि हमारी शिक्षा प्रणाली कितनी पारदर्शी है। नीट-यूजी जैसी परीक्षाएं पहले से ही तनावपूर्ण होती हैं, और ऐसे घोटाले छात्रों के मनोबल को तोड़ सकते हैं। माता-पिता, जो अपने बच्चों के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं, ऐसी धोखाधड़ी के जाल में आसानी से फंस सकते हैं। यह घटना न केवल कानूनी कार्रवाई की मांग करती है, बल्कि यह भी जरूरी है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं।
सीबीआई की इस कार्रवाई ने एक बार फिर यह साबित किया है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। संदीप जयहावर शाह और सलीम पटेल की गिरफ्तारी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। लेकिन यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। राजीव सिन्हा जैसे अन्य लोग अभी भी फरार हैं, और इस रैकेट के पूरे नेटवर्क को उजागर करने के लिए और जांच की जरूरत है। यह मामला हमें यह भी याद दिलाता है कि शिक्षा के क्षेत्र में ईमानदारी और पारदर्शिता कितनी महत्वपूर्ण है।
#NEETScam #CBIArrest #MumbaiCrime #EducationFraud #NEETUG2025
ये भी पढ़ें: Mumbra Train Tragedy: भीड़भाड़ ने छीनी चार जिंदगियां, सेंट्रल रेलवे ने मांगी चश्मदीदों की मदद