मुंबई में होर्डिंग्स की सुरक्षा पर बड़ा सवाल! घाटकोपर हादसे के बाद पता चला कि बीएमसी के पास होर्डिंग्स की जांच करने वाला कोई विभाग ही नहीं है, बल्कि ये काम प्राइवेट एजेंसियां करती हैं, जिनके भरोसे लोगों की जान है।
अब जबकि घाटकोपर में गिरे होर्डिंग से 16 लोगों की मौत हो गई, तो इस घटना के बाद BMC की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। अब पता चला है कि बीएमसी खुद होर्डिंग्स की जांच नहीं करती, बल्कि प्राइवेट एजेंसियों पर निर्भर है।
कौन करता है होर्डिंग्स की जांच?
मुंबई में होर्डिंग्स की स्ट्रक्चरल ऑडिट करने के लिए बीएमसी के पास कोई विभाग नहीं है। ये काम प्राइवेट एजेंसियां करती हैं, जो बीएमसी में रजिस्टर्ड होती हैं। घाटकोपर में गिरा होर्डिंग भी एक प्राइवेट एजेंसी ने ही लगाया था, जिसने उसकी स्ट्रक्चरल ऑडिट रिपोर्ट भी दी थी। लेकिन इस रिपोर्ट में होर्डिंग को सुरक्षित बताया गया था, जबकि वो एक साल के अंदर ही गिर गया।
मुंबई में होर्डिंग्स की स्ट्रक्चरल ऑडिट करने के लिए बीएमसी के पास कोई विभाग नहीं है। ये काम प्राइवेट एजेंसियां करती हैं, जो बीएमसी में रजिस्टर्ड होती हैं। घाटकोपर में गिरा होर्डिंग भी एक प्राइवेट एजेंसी ने ही लगाया था, जिसने उसकी स्ट्रक्चरल ऑडिट रिपोर्ट भी दी थी। लेकिन इस रिपोर्ट में होर्डिंग को सुरक्षित बताया गया था, जबकि वो एक साल के अंदर ही गिर गया।
बीएमसी ने क्या कार्रवाई की?
हादसे के बाद बीएमसी ने उस ऑडिटर को नोटिस जारी किया है, जिसने होर्डिंग को सुरक्षित बताया था। बीएमसी ने पूछा है कि उसका लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए।
हादसे के बाद बीएमसी ने उस ऑडिटर को नोटिस जारी किया है, जिसने होर्डिंग को सुरक्षित बताया था। बीएमसी ने पूछा है कि उसका लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए।
क्या कहते हैं एक्टिविस्ट?
एक्टिविस्ट इस मामले में बीएमसी की लापरवाही पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि बीएमसी को खुद होर्डिंग्स की जांच करनी चाहिए और इसके लिए एक अलग विभाग बनाना चाहिए। इस घटना से कहीं न कहीं ये साबित होता है कि सरकारी सिस्टम में कितनी लापरवाही है। लोगों की जान से जुड़े ऐसे मामलों में भी जिम्मेदारी प्राइवेट एजेंसियों पर छोड़ दी जाती है। इससे हादसे होने का खतरा बढ़ जाता है।
एक्टिविस्ट इस मामले में बीएमसी की लापरवाही पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि बीएमसी को खुद होर्डिंग्स की जांच करनी चाहिए और इसके लिए एक अलग विभाग बनाना चाहिए। इस घटना से कहीं न कहीं ये साबित होता है कि सरकारी सिस्टम में कितनी लापरवाही है। लोगों की जान से जुड़े ऐसे मामलों में भी जिम्मेदारी प्राइवेट एजेंसियों पर छोड़ दी जाती है। इससे हादसे होने का खतरा बढ़ जाता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मुंबई में अभी 1,025 होर्डिंग्स और बिलबोर्ड हैं। इन सभी के लाइसेंस प्राइवेट एजेंसियों की स्ट्रक्चरल ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर जारी किए गए हैं।