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जापान के रेंकोजी मंदिर में रखे नेताजी के अवशेष: उनकी बेटी की पीएम मोदी से भावुक अपील

जापान के रेंकोजी मंदिर में रखे नेताजी के अवशेष: उनकी बेटी की पीएम मोदी से भावुक अपील

भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते, चंद्र कुमार बोस, ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक बड़ी अपील की है। उन्होंने मांग की है कि 18 अगस्त को नेताजी की पुण्यतिथि के मौके पर उनके अवशेषों को जापान से वापस भारत लाया जाए। यह मांग लंबे समय से चली आ रही है, लेकिन अब नेताजी के परिवार ने इसे फिर से उठाया है।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को हुई थी। उस समय से लेकर आज तक, यानी करीब 78 साल से, उनके अवशेष जापान के टोक्यो शहर में स्थित रेंकोजी मंदिर में रखे हुए हैं। नेताजी के परिवार का कहना है कि यह समय है कि उनके अवशेषों को उनकी मातृभूमि में वापस लाया जाए।

चंद्र कुमार बोस ने समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में कहा, “नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने हमारे देश की आजादी के लिए अपनी जान दे दी। उन्होंने अपने देश के लिए सब कुछ कुर्बान कर दिया। अब यह हमारा फर्ज है कि हम उनके अवशेषों को वापस लाएं।” उन्होंने आगे कहा, “नेताजी हमेशा स्वतंत्र भारत में लौटना चाहते थे, लेकिन दुर्भाग्य से उनकी मृत्यु हो गई। अब हमें उनकी इच्छा पूरी करनी चाहिए।”

इस मामले में नेताजी की इकलौती बेटी अनीता बोस फाफ ने भी अपनी आवाज उठाई है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने अपने पिता के अवशेषों को भारत लाने की गुहार लगाई है। अनीता जी ने लिखा, “यह वक्त है कि हम अपने पिता नेताजी सुभाष चंद्र बोस को सच्ची श्रद्धांजलि दें। उनके अवशेष भारत वापस आने चाहिए ताकि मैं उनका अंतिम संस्कार कर सकूं।”

अनीता बोस फाफ ने अपने पत्र में एक महत्वपूर्ण बात की ओर ध्यान खींचा है। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार ने नेताजी से जुड़ी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने की जो प्रक्रिया शुरू की थी, उसका सभी ने स्वागत किया था। इन फाइलों के खुलने के बाद 11 जांच रिपोर्ट सामने आई हैं। इनमें से 10 रिपोर्टों में यह साफ कहा गया है कि नेताजी की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को हुई थी और उनके अवशेष जापान के रेंकोजी मंदिर में रखे गए हैं। केवल एक रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी मृत्यु नहीं हुई थी।

नेताजी के पोते चंद्र कुमार बोस ने इस बात पर जोर दिया कि नेताजी के अवशेषों का जापान में रहना अपमानजनक है। उन्होंने कहा, “यह हमारे लिए शर्म की बात है कि हमारे महान नेता के अवशेष विदेशी धरती पर पड़े हैं। अगर सरकार को लगता है कि अवशेषों को वापस नहीं लाया जा सकता, तो उन्हें इसका कारण बताना चाहिए।”

नेताजी की मृत्यु के बारे में कई सालों से विवाद चला आ रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि वे 18 अगस्त 1945 को ताइपे में हुए एक विमान हादसे में मारे गए थे। लेकिन कुछ लोग इस बात पर यकीन नहीं करते। हालांकि, भारत सरकार ने 2017 में एक RTI के जवाब में कहा था कि नेताजी की मौत उसी विमान हादसे में हुई थी।

जापान के रेंकोजी मंदिर में रखे नेताजी के अवशेष: उनकी बेटी की पीएम मोदी से भावुक अपील

इस पूरे मामले में एक अच्छी खबर यह है कि रेंकोजी मंदिर के अधिकारियों ने नेताजी के अवशेषों को भारत सरकार को सौंपने के लिए हामी भर दी है। अब बस इंतजार है तो सरकार के फैसले का। नेताजी के परिवार और देश के करोड़ों लोगों की नजरें अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिकी हुई हैं।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सबसे बड़े नायकों में से एक थे। उन्होंने अपने जीवन का हर पल देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया। उनका नारा ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ आज भी लोगों के दिलों में गूंजता है। ऐसे महान नेता के अवशेषों का स्वदेश वापसी के लिए इंतजार करना वाकई दुखद है।

नेताजी के परिवार का कहना है कि यह सिर्फ एक परिवार का मामला नहीं है, बल्कि पूरे देश की भावनाओं से जुड़ा हुआ है। वे चाहते हैं कि नेताजी के अवशेष वापस आएं ताकि पूरा देश उन्हें श्रद्धांजलि दे सके। यह न सिर्फ एक महान नेता के प्रति सम्मान होगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

अब देखना यह है कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है। क्या नेताजी की अंतिम इच्छा पूरी हो पाएगी? क्या उनके अवशेष अपनी मातृभूमि की मिट्टी में विलीन हो सकेंगे? इन सवालों का जवाब आने वाले दिनों में मिलेगा। तब तक, नेताजी के चाहने वाले उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उनका नायक जल्द ही घर लौटेगा।

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