रोजगार के नए अवसर: भारत की अर्थव्यवस्था में एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। बजट 2024 के माध्यम से सरकार ने रोजगार सृजन के लिए एक नई रणनीति तैयार की है। इस रणनीति का मुख्य उद्देश्य है सरकार और निजी क्षेत्र के बीच मजबूत साझेदारी बनाना। वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने हाल ही में एक विस्तृत बातचीत में इस योजना के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं।
सोमनाथन ने बताया कि रोजगार सृजन एक जटिल प्रक्रिया है। यह केवल सरकारी योजनाओं पर निर्भर नहीं है। इसके लिए अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रियता बढ़ानी होगी। सरकार का मानना है कि जब उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा, तो वे अधिक खर्च करेंगे। इससे नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। यह एक चक्र की तरह काम करेगा, जहां एक क्षेत्र की वृद्धि दूसरे क्षेत्रों को भी प्रभावित करेगी।
कौशल विकास इस योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सोमनाथन ने स्पष्ट किया कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां सरकार अकेले काम नहीं कर सकती। निजी क्षेत्र की भागीदारी बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि जब उद्योगों और नियोक्ताओं को रोजगार के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, तो वे अधिक लोगों को काम देंगे। यह एक आम शिकायत है कि कई कंपनियों को योग्य लोग नहीं मिलते। इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर काम करें।
बजट 2024 में एक नई पहल की घोषणा की गई है – इंटर्नशिप कार्यक्रम। यह कार्यक्रम स्वैच्छिक है और उन कंपनियों के लिए है जो कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत काम करना चाहती हैं। इस कार्यक्रम में सरकार बड़ी भूमिका निभाएगी। वह इंटर्नशिप पर होने वाले खर्च का एक बड़ा हिस्सा उठाएगी। इसमें वजीफे का 90 प्रतिशत तक शामिल है। यह जानना दिलचस्प है कि 2022 में भारत में सीएसआर के तहत कुल 26,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। इसमें से आधा हिस्सा केवल शीर्ष 100 कंपनियों से आया था।
सोमनाथन ने पिछली रोजगार प्रोत्साहन योजनाओं के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि ये योजनाएं काफी हद तक सफल रही हैं। यहां तक कि कोरोना महामारी के कठिन समय में भी इन योजनाओं ने अच्छा काम किया। हालांकि, कुछ लोगों ने शिकायत की थी कि इन योजनाओं में लोगों को केवल कम समय के लिए नौकरी मिली थी। सरकार इस समस्या को गंभीरता से ले रही है। वह धोखाधड़ी रोकने के लिए कड़े कदम उठाएगी। साथ ही, अगले वित्त वर्ष की शुरुआत से ही कंपनियों को पैसा वापस किया जाएगा।
इंटर्नशिप कार्यक्रम के लिए पात्र उम्मीदवारों के बारे में भी स्पष्टता दी गई है। आईआईएम, आईआईटी, सीएमए जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के छात्र इस कार्यक्रम का लाभ नहीं ले पाएंगे। सरकार उन लोगों की एक सूची जारी करेगी जिन्हें रोजगार पाने की संभावना कम है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य है कि शीर्ष 500 कंपनियां लोगों को कौशल प्रदान करें। फिर अगली 2000-2500 कंपनियां इन कुशल लोगों को रोजगार देंगी।
बजट 2024 में राज्यों के लिए भी कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। राज्यों को सुधार से जुड़े ब्याज मुक्त कर्ज मिलेंगे। लेकिन इसके लिए उन्हें कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी। इन शर्तों में पर्यटन को बढ़ावा देना और औद्योगिक भूमि का बेहतर उपयोग करना शामिल है। राज्यों को अपने औद्योगिक नियोजन नियमों में बदलाव करने होंगे ताकि औद्योगिक भूखंडों का अधिकतम उपयोग हो सके। इसके अलावा, कृषि ऋणों और शहरी भूमि के लेखा-जोखा पर भी कुछ शर्तें लागू की गई हैं।
मौद्रिक नीति और खाद्य मुद्रास्फीति के बारे में भी चर्चा हुई। सोमनाथन ने कहा कि यह एक जटिल मुद्दा है। अक्सर यह सवाल उठता है कि खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मौद्रिक नीति कितनी प्रभावी होती है। हालांकि, इस विषय पर अभी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।
अंत में, विनिवेश के बारे में बात करते हुए सोमनाथन ने एक महत्वपूर्ण बदलाव की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि अब सरकार विनिवेश पर कम और मूल्यवर्धन पर अधिक ध्यान दे रही है। इसका मतलब है कि सरकार अपनी संपत्तियों का बेहतर उपयोग करना चाहती है। वह चाहती है कि इन संपत्तियों का मूल्य बढ़े और वे देश की अर्थव्यवस्था में अधिक योगदान दें।
इस प्रकार, बजट 2024 एक नए युग की शुरुआत का संकेत देता है। इसमें सरकार और निजी क्षेत्र के बीच एक नई तरह की साझेदारी की परिकल्पना की गई है। यह साझेदारी न केवल रोजगार सृजन में मदद करेगी, बल्कि देश की समग्र आर्थिक वृद्धि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि ये योजनाएं कैसे लागू होती हैं और इनका क्या प्रभाव पड़ता है।