महाराष्ट्र में रिटायरमेंट होम्स और सीनियर सिटीजन हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए अब नए नियम लागू हो गए हैं। इन नियमों का मकसद बुजुर्गों के लिए घरों को और भी सुविधाजनक और सुरक्षित बनाना है।
महाराष्ट्र रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (महारेरा) ने एक सर्कुलर जारी करके रिटायरमेंट होम्स के लिए नए नियमों की घोषणा की है। इन नियमों में बिल्डिंग डिजाइन, किचन, बाथरूम, लिफ्ट, रैंप, सीढ़ियां, लाइटिंग, वेंटिलेशन और सुरक्षा जैसे कई पहलुओं को शामिल किया गया है।
नए नियमों में क्या है खास?
लिफ्ट और रैंप: एक से ज्यादा मंजिल वाली सभी इमारतों में व्हीलचेयर के लिए सुलभ लिफ्ट और रैंप होना जरूरी है।
दरवाजे और खिड़कियां: दरवाजों की चौड़ाई 900 मिमी से कम नहीं होनी चाहिए और कोशिश करें कि स्लाइडिंग दरवाजे लगाए जाएं।
फर्नीचर: फर्नीचर हल्का, मजबूत और बिना किसी नुकीले किनारों वाला होना चाहिए।
सीढ़ियां और गलियारे: सीढ़ियों की चौड़ाई 1500 मिमी से कम नहीं होनी चाहिए और दोनों तरफ रेलिंग होनी चाहिए। गलियारों में कोई सीढ़ियां नहीं होनी चाहिए, अगर फर्श के लेवल में बदलाव है तो रैंप होना चाहिए।
किचन और बाथरूम: किचन में गैस लीक डिटेक्शन सिस्टम होना जरूरी है। बाथरूम में वॉश बेसिन, शॉवर एरिया और टॉयलेट में ग्रैब रेल होनी चाहिए। टॉयलेट और बाथरूम में एंटी-स्किड टाइल्स लगानी जरूरी हैं।
बिजली और सुरक्षा: रिटायरमेंट होम में बिजली का बैकअप होना जरूरी है। साथ ही, सभी कमरों में अलार्म सिस्टम और आपातकालीन लाइट कंट्रोल होने चाहिए। सुरक्षा गार्ड को भी बुजुर्गों की देखभाल के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
ये नए नियम बुजुर्गों के लिए रिटायरमेंट होम्स को और भी सुरक्षित और आरामदायक बनाएंगे। इससे बुजुर्गों को एक बेहतर और स्वतंत्र जीवन जीने में मदद मिलेगी।
ये नियम पूरे महाराष्ट्र में तुरंत प्रभाव से लागू हो गए हैं। अब कोई भी प्रोजेक्ट जो खुद को रिटायरमेंट या सीनियर सिटीजन होम बताएगा, उसे इन नियमों का पालन करना होगा।
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