Nimisha Priya Death Penalty Halted: केरल की 38 साल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में मिली मौत की सजा रद्द हो गई है, जिससे उनके परिवार और चाहने वालों को बड़ी राहत मिली है। निमिषा को 16 जुलाई 2025 को सना की जेल में फांसी दी जानी थी, लेकिन भारत सरकार, धार्मिक नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं की कोशिशों से यह सजा टल गई। भारतीय ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबक्कर मुसलियार के दफ्तर ने पुष्टि की है कि निमिषा की सजा पूरी तरह रद्द कर दी गई है। अब उनके भारत लौटने का रास्ता साफ हो गया है।
निमिषा प्रिया पलक्कड़ जिले के कोल्लेंगोड की रहने वाली हैं। 2008 में बेहतर नौकरी की तलाश में वह यमन गईं और सना के एक सरकारी अस्पताल में नर्स का काम करने लगीं। 2011 में उनकी शादी टॉमी थॉमस से हुई, और दोनों यमन में ही रहने लगे। 2014 में यमन में गृह युद्ध शुरू होने पर उनके पति और बेटी भारत लौट आए, लेकिन निमिषा वहीं रहीं। 2015 में उन्होंने यमनी नागरिक तलाल अब्दो मेहदी के साथ मिलकर अल अमन मेडिकल क्लिनिक शुरू किया, क्योंकि यमनी कानून के मुताबिक विदेशियों को स्थानीय साझेदार की जरूरत होती है।
मुश्किलें तब शुरू हुईं, जब निमिषा का कहना है कि तलाल ने उनके साथ धोखा किया। उसने उनकी कमाई हड़प ली, पासपोर्ट जब्त कर लिया और शारीरिक-मानसिक उत्पीड़न शुरू कर दिया। तलाल ने जाली दस्तावेज बनाकर खुद को निमिषा का पति भी बताया। 2017 में अपने दस्तावेज वापस लेने के लिए निमिषा ने तलाल को केटामाइन इंजेक्शन दिया, ताकि वह बेहोश हो जाए। लेकिन गलती से डोज ज्यादा हो गई, और तलाल की मौत हो गई। घबराहट में निमिषा ने शव को टुकड़ों में काटकर पानी की टंकी में फेंक दिया। यमन-सऊदी सीमा पर भागने की कोशिश में वह पकड़ी गईं। 2018 में यमनी अदालत में मुकदमा शुरू हुआ, और 2020 में शरिया कानून के तहत उन्हें ‘किसास’ के आधार पर मौत की सजा सुनाई गई। 2023 में यमन के सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने सजा को बरकरार रखा, और दिसंबर 2024 में यमनी राष्ट्रपति राशद अल-अलिमी ने भी इसे मंजूरी दे दी।
यमन में शरिया कानून के तहत हत्या के लिए ‘किसास’ यानी प्रतिशोध के आधार पर मौत की सजा दी जाती है। निमिषा पर तलाल की हत्या का इल्जाम साबित हुआ, और अदालत ने इसे जानबूझकर किया गया अपराध माना। निमिषा के वकील का कहना है कि उन्हें सही कानूनी मदद और अनुवादक नहीं मिला, जिससे वह अपना पक्ष ठीक से नहीं रख पाईं। तलाल के भाई अब्देलफत्ताह मेहदी ने ‘किसास’ की मांग की और ब्लड मनी लेने से इनकार कर दिया। ब्लड मनी यानी ‘दिया’ शरिया कानून का हिस्सा है, जिसमें पीड़ित का परिवार मुआवजा लेकर दोषी को माफ कर सकता है।
निमिषा की सजा टालने में भारत सरकार, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और ग्रैंड मुफ्ती शेख अबूबकर अहमद की बड़ी भूमिका रही। शेख अबूबकर ने यमन के सूफी विद्वान शेख उमर बिन हफीज से बात की, जिसके बाद तलाल का परिवार सजा को अस्थायी रूप से टालने को राजी हुआ। सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल ने ब्लड मनी के लिए 58,000 अमेरिकी डॉलर जुटाए, और केरल के व्यवसायी एमए यूसुफ अली ने भी आर्थिक मदद की पेशकश की। भारत सरकार ने यमन में हूती विद्रोहियों के नियंत्रण और राजनयिक संबंधों की कमी के बावजूद ईरान के जरिए बातचीत की। सुप्रीम कोर्ट में 14 जुलाई 2025 को हुई सुनवाई में भारत सरकार ने इन कोशिशों की जानकारी दी, जिसके बाद फांसी को 14 अगस्त 2025 तक टाल दिया गया था।
अब तलाल का परिवार ब्लड मनी पर विचार कर रहा है, लेकिन अभी भी पूरी तरह सहमत नहीं है। निमिषा की मां प्रेमा कुमारी अप्रैल 2024 से यमन में हैं और तलाल के परिवार से माफी की गुहार लगा रही हैं। सना की जेल में निमिषा की हालत खराब है, जहां हूती विद्रोहियों के नियंत्रण के कारण मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायतें आम हैं।
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