Non-MBBS Faculty Policy: मुंबई में चिकित्सा विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं ने सरकार के उस फैसले का कड़ा विरोध किया है, जिसमें गैर-MBBS शिक्षकों को MBBS छात्रों को पढ़ाने की अनुमति दी गई है। यह नीति परिवर्तन, जो नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) द्वारा प्रस्तावित है, मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता और मरीजों की सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है। इस मुद्दे ने नई पीढ़ी के बीच चर्चा छेड़ दी है, क्योंकि यह भविष्य के डॉक्टरों की ट्रेनिंग और देश की स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ा है। इस लेख में हम इस विवाद, इसके कारणों और प्रभावों को सरल और आकर्षक तरीके से समझेंगे, ताकि युवा पाठक इसे आसानी से समझ सकें।
पिछले सप्ताह, मुंबई सहित देशभर के चिकित्सा विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और कार्यकर्ताओं ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) को पत्र लिखकर अपनी चिंता जताई। यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट (UDF) के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्य मित्तल ने बताया कि NMC के टीचर्स एलिजिबिलिटी क्वालिफिकेशंस (TEQ) 2022 और ड्राफ्ट TEQ 2024 नियम गैर-MBBS व्यक्तियों, जैसे MSc या PhD धारकों, को प्री-क्लिनिकल विषयों जैसे एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री पढ़ाने की अनुमति देते हैं। 2022 के नियम 15% तक ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति की अनुमति देते हैं, जबकि 2024 का ड्राफ्ट एक अस्थायी अवधि के लिए बिना किसी स्पष्ट सीमा या समयसीमा के इसे लागू करने की बात करता है। यह मेडिकल शिक्षा (medical education) और मरीजों की सुरक्षा (patient safety) के लिए एक बड़ा खतरा माना जा रहा है।
डॉ. मित्तल ने अपने पत्र में लिखा कि मेडिकल शिक्षा में केवल किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि व्यावहारिक क्लिनिकल प्रशिक्षण, मरीजों की देखभाल, संवाद कौशल और राष्ट्रीय सेवा का अनुभव भी जरूरी है। ये सभी गुण केवल MBBS और उसके बाद MD/MS डिग्री धारक डॉक्टरों में ही हो सकते हैं। गैर-MBBS शिक्षकों को शामिल करने से शिक्षण की गुणवत्ता कम होगी, भविष्य के डॉक्टरों की क्लिनिकल क्षमता प्रभावित होगी और अंततः मरीजों की सुरक्षा (patient safety) खतरे में पड़ सकती है। UDF ने चेतावनी दी कि निजी मेडिकल कॉलेज इस नियम का दुरुपयोग कर सकते हैं और कम खर्च में गैर-MBBS शिक्षकों को नियुक्त कर सकते हैं, जिससे मेडिकल शिक्षा (medical education) के मानक लंबे समय तक गिर सकते हैं।
मुंबई के मेडिकल शिक्षा कार्यकर्ता ब्रिजेश सुतारिया ने इस मुद्दे को और गहराई से समझाया। उन्होंने कहा कि गैर-MBBS शिक्षकों को MBBS छात्रों को पढ़ाने की अनुमति देना केवल एक अकादमिक समझौता नहीं है, बल्कि यह क्लिनिकल प्रशिक्षण की नींव को कमजोर करता है। चिकित्सा केवल विज्ञान नहीं है; यह मरीजों की देखभाल, संवाद और दबाव में सही निर्णय लेने की कला भी है। बिना क्लिनिकल अनुभव वाले शिक्षक भावी डॉक्टरों को वास्तविक चुनौतियों के लिए तैयार नहीं कर सकते। सुतारिया ने इसे मरीजों की सुरक्षा से जुड़ा एक गंभीर मुद्दा बताया। उनकी बातें नई पीढ़ी के लिए सोचने का मौका देती हैं कि क्या हम अपने भविष्य के डॉक्टरों को सही हाथों में सौंप रहे हैं।
UDF ने अपने पत्र में यह भी बताया कि प्री-क्लिनिकल विषयों में MD/MS शिक्षकों की कोई कमी नहीं है। हर साल 400-500 नए MD/MS शिक्षक तैयार हो रहे हैं, जिससे गैर-MBBS शिक्षकों की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसके अलावा, MSc और PhD जैसी डिग्रियां NMC द्वारा नियंत्रित नहीं होतीं। ये डिग्रियां विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा दी जाती हैं, जिनके प्रवेश और मूल्यांकन मानक अलग-अलग हैं। ऐसे में, गैर-MBBS शिक्षकों को MBBS और MD/MS शिक्षकों के बराबर मानना NMC के कॉम्पिटेंसी-बेस्ड मेडिकल एजुकेशन (CBME) पाठ्यक्रम के लक्ष्यों को कमजोर करता है।
इस नीति का विरोध इसलिए भी बढ़ रहा है, क्योंकि पहले मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से NMC में बदलाव के दौरान बनी समितियों ने सुझाव दिया था कि गैर-मेडिकल शिक्षकों की नियुक्ति को एक निश्चित अवधि के बाद पूरी तरह बंद कर देना चाहिए। UDF ने मांग की है कि TEQ 2024 में गैर-MBBS शिक्षकों को MBBS शिक्षण से पूरी तरह बाहर रखा जाए, चाहे वह अस्थायी अवधि के लिए ही क्यों न हो। यह मांग न केवल मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए भी है कि भविष्य के डॉक्टर पूरी तरह तैयार हों।
मुंबई जैसे शहर में, जहां मेडिकल कॉलेज और अस्पताल स्वास्थ्य सेवाओं का केंद्र हैं, यह मुद्दा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। मेडिकल शिक्षा (medical education) में किसी भी तरह की ढील न केवल छात्रों के करियर को प्रभावित कर सकती है, बल्कि यह देश की स्वास्थ्य प्रणाली पर भी असर डाल सकती है। मरीजों की सुरक्षा (patient safety) को प्राथमिकता देना हर मेडिकल नीति का आधार होना चाहिए। यह विवाद नई पीढ़ी को यह सोचने के लिए प्रेरित करता है कि हमें अपने स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में कितनी सावधानी और जिम्मेदारी की जरूरत है।
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