महाराष्ट्र में जूनियर कॉलेज (11वीं और 12वीं) में अब अंग्रेज़ी पढ़ना अनिवार्य नहीं होगा। इसे एक विदेशी भाषा की तरह माना जाएगा। ये प्रस्ताव महाराष्ट्र राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (SCERT) के नए ड्राफ्ट स्टेट करिकुलम फ्रेमवर्क (SCF) में दिया गया है।
क्या कहता है नया प्रस्ताव?
नए प्रस्ताव के अनुसार, 11वीं और 12वीं के छात्र आठ विषय चुन सकेंगे – दो भाषाएं, पर्यावरण और शारीरिक शिक्षा, और अपनी पसंद के चार विषय। इनमें से एक भाषा भारतीय मूल की होनी चाहिए। इस लिस्ट में अंग्रेज़ी को विदेशी भाषा की श्रेणी में रखा गया है।
विवाद की वजह?
इस प्रस्ताव पर शिक्षाविदों ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि अंग्रेज़ी को विदेशी भाषा कैसे माना जा सकता है, जबकि ये केंद्र और राज्य सरकारों के बीच आधिकारिक संवाद, अदालती कार्यवाही और कई सरकारी दस्तावेजों में इस्तेमाल होती है।
तीसरी से 10वीं तक क्या होगा?
ड्राफ्ट SCF में तीसरी से 10वीं तक की अंग्रेज़ी भाषा नीति पर भी स्पष्टता नहीं है। अभी तक इन कक्षाओं में अंग्रेज़ी अनिवार्य थी, लेकिन प्रस्ताव के अनुसार, तीसरी से 5वीं तक के छात्रों को तीन भाषाओं की जगह सिर्फ दो भाषाएं पढ़नी होंगी। पहली भाषा मातृभाषा या राज्य भाषा (मराठी) होगी, और दूसरी भाषा कोई भी हो सकती है।
स्कूलों की चिंता
स्कूल, खासकर अंग्रेज़ी माध्यम वाले, इस बदलाव को लेकर चिंतित हैं। उनका कहना है कि अलग-अलग मातृभाषा वाले बच्चों को पढ़ाने में दिक्कत होगी। अगर दूसरी भाषा मराठी चुननी होगी, तो अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूल कैसे चलेंगे?
आगे क्या?
SCF में जूनियर कॉलेज की शिक्षा में पारंपरिक कला, वाणिज्य और विज्ञान विषयों की जगह बहु-विषयक दृष्टिकोण अपनाने का भी सुझाव दिया गया है। छात्रों को अलग-अलग विषयों को चुनने की आजादी होगी।
इस ड्राफ्ट पर SCERT की वेबसाइट पर 3 जून तक लोगों से राय मांगी गई है। आप भी अपनी राय दे सकते हैं और इस महत्वपूर्ण बदलाव में अपनी आवाज़ शामिल कर सकते हैं।
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