जयपुर, 7 अगस्त 2025: राजस्थान की गुलाबी नगरी जयपुर के जालूपुरा थाना क्षेत्र में 15 मई को एक ऐसी घटना घटी, जिसने समाज के सामने प्यार और सामाजिक बंधनों की एक मार्मिक कहानी पेश की। 28 वर्षीय छगन सिंह ने आत्महत्या कर ली, लेकिन उनके पीछे छोड़ा गया 23 पेज का सुसाइड नोट पढ़कर हर कोई हैरान रह गया। इस नोट में छगन ने अपने चाचा समय सिंह के लिए अपने गहरे प्यार का इजहार किया, जिसे वो समाज के डर से कभी खुलकर जाहिर नहीं कर पाए। आइए, इस दिल दहला देने वाली कहानी को और करीब से जानते हैं।
प्यार, समाज और एक अधूरी कहानी
छगन सिंह, दौसा जिले के महुआ के रहने वाले, जयपुर में किराए के मकान में रहते थे। उनके साथ उनके रिश्ते के चाचा समय सिंह और बलराम सिंह भी रहते थे। छगन का अपने चाचा समय सिंह के साथ ऐसा रिश्ता था, जो समाज की नजरों में अस्वीकार्य था। इस डर से कि समाज उनके प्यार को गलत समझेगा, छगन ने अपने दिल की बात कभी खुलकर नहीं कही। लेकिन, जब वो अपने इस प्रेम को और छिपा नहीं पाए, तो उन्होंने अपनी जिंदगी खत्म करने का फैसला कर लिया।
छगन के सुसाइड नोट में लिखा था, “चाचा जी, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं। आपके बिना मुझसे रहा नहीं जाता। मैंने आपको भगवान के समान पूजा है।” इन शब्दों में छगन का अपने चाचा के प्रति अटूट प्रेम और दर्द साफ झलकता है।
23 पेज का सुसाइड नोट: एक प्रेम पत्र
पुलिस को छगन की अलमारी में मिला 23 पेज का सुसाइड नोट किसी प्रेम पत्र से कम नहीं था। इसमें छगन ने अपने चाचा के लिए अपनी भावनाओं को इस तरह बयां किया कि पढ़ने वाला भावुक हो जाए। नोट में उन्होंने लिखा, “हे माता लक्ष्मी, मेरे काकोसा के हमेशा साथ रहना, कभी धन-धान्य की कमी मत होने देना। मेरी छोटी-सी भेंट को सीने से लगा लेना, चाचा जी।”
छगन ने अपने चाचा को “पहला प्यार” बताते हुए लिखा, “आप मेरे दिल-दिमाग में इस तरह समा गए कि अब आप मेरे जीवन का हिस्सा बन गए हैं। आपके बिना मैं नहीं रह पाऊंगा।” उन्होंने मंदिरों में जाकर अपने चाचा को पूरी आस्था से मांगा था, और उन्हें भगवान के समान माना था।
परिवार का गुस्सा, चाचा पर केस
छगन की आत्महत्या के बाद उनके परिजनों ने समय सिंह के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज कराया। जालूपुरा थाने के हेड कांस्टेबल जगदीश प्रसाद ने बताया कि पुलिस इस मामले की गहन जांच कर रही है। लेकिन सुसाइड नोट के सामने आने के बाद ये साफ हो गया कि छगन का अपने चाचा के प्रति प्रेम ही उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा दर्द बन गया था।
समाज का डर और प्यार का दर्द
छगन का सुसाइड नोट न केवल उनके प्यार की गहराई को दर्शाता है, बल्कि ये भी दिखाता है कि समाज का डर किस तरह लोगों को अपने दिल की बात कहने से रोकता है। नोट में छगन ने लिखा, “मैंने आपको सच्चा प्यार किया, तो क्या गलत किया? आप मेरे पहले प्यार हो और मेरे चाचा भी। आपके बिना मैं डिप्रेशन में चला जाऊंगा, पागल हो जाऊंगा।”
ये कहानी सिर्फ छगन और उनके चाचा की नहीं, बल्कि उन तमाम लोगों की है, जो समाज के डर से अपने प्यार को छिपाने को मजबूर हैं। छगन ने अपने नोट में लिखा, “चाचा जी, मुझे अपनाओ, नहीं तो मैं जिंदा भी नहीं रह पाऊंगा और मर भी नहीं पाऊंगा।”
जांच जारी, सवाल अनगिनत
पुलिस इस मामले की तह तक जाने के लिए जांच कर रही है। लेकिन छगन का सुसाइड नोट समाज के सामने कई सवाल छोड़ गया है। क्या प्यार की कोई सीमा होती है? क्या समाज का डर इतना बड़ा है कि लोग अपनी जिंदगी तक खत्म कर लेते हैं? छगन की कहानी न केवल एक त्रासदी है, बल्कि ये हमें सोचने पर मजबूर करती है कि प्यार को स्वीकार करने में समाज की क्या भूमिका होनी चाहिए।
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