मुंबई

शरद पवार को बड़ा झटका, अजित पवार की NCP में शामिल हुए पूर्व विधायक राहुल मोटे

अजित पवार
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महाराष्ट्र की राजनीति में 2025 के चुनाव से पहले हलचल तेज हो गई है। मंगलवार, 5 अगस्त को एक बड़ा सियासी बदलाव देखने को मिला, जब पूर्व विधायक राहुल मोटे ने अजित पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का दामन थाम लिया। पहले शरद पवार के गुट NCP (एसपी) के साथ जुड़े रहे मोटे, भुम-पारंडा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इस मौके पर डिप्टी सीएम अजीत पवार ने उनका जोरदार स्वागत किया और पार्टी के विस्तार की नई रणनीति का ऐलान किया।

अजीत पवार का समावेशी राजनीति का मंत्र: “जाति-धर्म से ऊपर सोचें”
इस समारोह में अजीत पवार ने समावेशी राजनीति का ज़ोरदार पैगाम दिया। उन्होंने कहा, “हमें जाति, धर्म या पंथ से ऊपर उठकर सोचना होगा, जैसा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने स्वराज्य की स्थापना के समय किया था।”

उन्होंने जोर देकर कहा कि पार्टी की नींव वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शन से रखी गई थी, और अब इसे और मजबूत करने के लिए जमीनी स्तर पर नए नेतृत्व की जरूरत है। अजीत पवार ने पार्टी के 26 साल के सफर को नई ऊर्जा देने के लिए नए कार्यकर्ताओं के शामिल होने को एक सकारात्मक कदम बताया। गौरतलब है कि NCP की स्थापना 10 जून 1999 को शरद पवार ने की थी, जिनसे अजीत पवार 2023 में अलग हो गए थे।

सोशल मीडिया पर अनुशासन की सलाह
अजीत पवार ने कार्यकर्ताओं को अनुशासन का पाठ पढ़ाते हुए कहा, “सोशल मीडिया आज एक ताकतवर हथियार है। एक गलत बयान पूरी पार्टी की छवि को धूमिल कर सकता है। इसलिए सार्वजनिक मंचों पर सोच-समझकर बोलें।” उन्होंने आगामी स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारियों पर ध्यान देने की अपील की और साफ किया कि विकास का काम विपक्ष में बैठकर नहीं, बल्कि सत्ता में रहकर ही हो सकता है।

धाराशिव, अहिल्यानगर और अकोला से भी आए नए चेहरे
राहुल मोटे के साथ-साथ धाराशिव, अहिल्यानगर और अकोला जिलों के कई बड़े नेता और पदाधिकारी भी अजीत पवार की NCP में शामिल हुए। इस बड़े पैमाने पर शामिल होने से पार्टी को जमीनी स्तर पर नई ताकत मिलने की उम्मीद है। अजीत पवार ने इसे केवल सदस्यता नहीं, बल्कि पार्टी की रीढ़ को मजबूत करने का कदम बताया।

क्या है इस बदलाव का मतलब?
ये सियासी उलटफेर महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत दे रहा है। अजीत पवार की रणनीति न सिर्फ पार्टी को मजबूत करने की है, बल्कि आगामी चुनावों में नई ऊर्जा के साथ मैदान में उतरने की भी है। खैर ये तो वक्त ही बताएगा, कि क्या ये बदलाव NCP को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा?

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