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11 साल में अनाथ, 21 साल में ओलंपिक चैंपियन: अमन सेहरावत ने कैसे जीती जिंदगी की सबसे बड़ी रेस, पढ़िए पूरी कहानी!

11 साल में अनाथ, 21 साल में ओलंपिक चैंपियन: मन सेहरावत ने कैसे जीती जिंदगी की सबसे बड़ी रेस, पढ़िए पूरी कहानी!
अमन सेहरावत की कहानी संघर्ष और सफलता का अनूठा उदाहरण है। 11 साल की उम्र में अनाथ होने के बावजूद, अमन ने पेरिस ओलंपिक 2024 में 57 किलोग्राम फ्रीस्टाइल कुश्ती में कांस्य पदक जीतकर अपने सपनों को सच कर दिया। यह लेख अमन के जीवन के संघर्षों और उनकी असाधारण उपलब्धि की कहानी बताता है।

अमन सेहरावत की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। 11 साल की उम्र में अनाथ होकर, 21 साल की उम्र में ओलंपिक पदक विजेता बनना – यह सफर आसान नहीं था। लेकिन अमन ने अपनी मेहनत और लगन से यह कर दिखाया।

10 अगस्त, 2024 को पेरिस ओलंपिक्स में अमन ने इतिहास रच दिया। 57 किलोग्राम फ्रीस्टाइल कुश्ती में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता। यह भारत का इस ओलंपिक्स में छठा पदक था। इस जीत के साथ, भारत ने लगातार पांचवें ओलंपिक में कुश्ती में पदक जीतने का रिकॉर्ड भी बनाया।

मुकाबले की सुबह अमन का वजन थोड़ा ज्यादा था। लेकिन कोच वीरेंद्र दहिया की मदद से उन्होंने रात 12 बजे से सुबह 4:15 बजे तक कड़ी मेहनत की और अपना वजन कंट्रोल किया। यह उनकी डेडिकेशन का सबूत था।

फाइनल मुकाबले में अमन का सामना प्यूर्टो रिको के डारियन क्रूज़ से था। शुरुआत में अमन पिछड़ गए, लेकिन जल्द ही उन्होंने वापसी की। अपनी ताकत और स्किल का इस्तेमाल करते हुए अमन ने क्रूज़ को 13-5 से हरा दिया। जैसे ही आखिरी सीटी बजी, अमन की आंखों में खुशी के आंसू थे।

अमन का सफर चतरा साल अकादमी से शुरू हुआ। 11 साल की उम्र में अनाथ होने के बाद उन्हें यहां दाखिल किया गया। यह अकादमी भारतीय कुश्ती का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां की कड़ी ट्रेनिंग ने अमन को एक बेहतरीन पहलवान बनाया।

अमन की कहानी हमें सिखाती है कि मुश्किलें कितनी भी बड़ी हों, हौसला नहीं हारना चाहिए। उनके कोच कहते हैं, “अमन रोज सुबह 4 बजे उठकर प्रैक्टिस करता था। उसकी मेहनत देखकर मुझे यकीन था कि वह एक दिन बड़ा नाम करेगा।”

अमन सेहरावत की जीत सिर्फ उनकी नहीं, पूरे भारत की जीत है। उन्होंने साबित कर दिया कि अगर आप अपने सपनों के पीछे लग जाएं, तो कुछ भी असंभव नहीं है। आज अमन न सिर्फ एक ओलंपिक पदक विजेता हैं, बल्कि लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा भी हैं।

अमन का अगला लक्ष्य 2028 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक्स में गोल्ड मेडल जीतना है। उनका कहना है, “मैंने अपने देश के लिए ब्रॉन्ज जीता है, अब गोल्ड जीतना चाहता हूं।” उनके इस जज्बे से पता चलता है कि अमन सेहरावत अभी और ऊंचाइयों को छूने वाले हैं।

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