पलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस दुखद घटना पर एनसीपी नेता शरद पवार ने अपनी प्रतिक्रिया दी और देशवासियों से एकजुटता की अपील की। उन्होंने कहा कि इस हमले ने न केवल कुछ निर्दोष लोगों की जान ली, बल्कि ये पूरे भारत और भारतवासियों पर एक आघात है।
आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की जरूरत
शरद पवार ने जोर देकर कहा कि ऐसे कठिन समय में, भले ही हमारे बीच राजनीतिक मतभेद हों, लेकिन जब बात देश की सुरक्षा और एकता की आती है, तो हमें सभी मतभेद भुलाकर एक साथ खड़े होना चाहिए। उन्होंने कहा, “ये हमला किसी जाति या धर्म पर नहीं, बल्कि हमारे देश पर था।” इस बयान के जरिए उन्होंने स्पष्ट किया कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और इसे किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।
सर्वदलीय बैठक में केंद्र सरकार की भूमिका
27 अप्रैल को मराठी में अपने सोशल मीडिया पोस्ट में शरद पवार ने हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक का जिक्र किया। इस बैठक में उनकी बेटी सुप्रिया सुले ने हिस्सा लिया था। पवार ने कहा कि उन्हें इस बात से संतोष हुआ कि देश के नेतृत्वकर्ता, चाहे वो रक्षा मंत्री हों या गृह मंत्री, उन्होंने इस मामले में संयमित और जिम्मेदार रुख अपनाया। उन्होंने ये भी स्वीकार किया कि इस हमले को रोकने में कहीं न कहीं कमी रह गई। पवार ने कहा, “जब सरकार ने अपनी कमी स्वीकार कर ली है, तो अब उस पर चर्चा करने के बजाय भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने पर ध्यान देना चाहिए।”
कश्मीर में एकता का संदेश
शरद पवार ने कश्मीर घाटी के लोगों की एकजुटता की तारीफ की। उन्होंने बताया कि इस हमले के विरोध में हिंदू और मुस्लिम, दोनों ही समुदाय के लोग सड़कों पर उतरे। खासकर, बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की और ये संदेश दिया कि वे एकता में विश्वास रखते हैं। उन्होंने आगे कहा कि, “ये देखकर गर्व हुआ कि कश्मीरी समाज ने आतंकवाद को सिरे से खारिज कर दिया और एकता का परिचय दिया,”
आतंकवाद को धार्मिक रंग देने की कोशिश निंदनीय
पवार ने उन लोगों की आलोचना की जो इस घटना को धार्मिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा करना देश के लिए बेहद खतरनाक है। “हमें कभी भी उस रास्ते पर नहीं चलना चाहिए, जो देश को बांटने का काम करे।” उन्होंने ये भी जोड़ा कि कुछ लोग पड़ोसी देशों से प्रेरित होकर आतंकवाद का समर्थन करते हैं, लेकिन अधिकांश कश्मीरी समाज ऐसी विचारधारा को स्वीकार नहीं करता।
फारूक अब्दुल्ला के साथ पुराने रिश्ते का जिक्र
शरद पवार ने अपने पुराने दोस्त और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि जब कश्मीर में हालात खराब थे, तब फारूक ने अपने बेटे उमर अब्दुल्ला की पढ़ाई के लिए उन्हें उनके पास भेजा था। उमर ने पवार के साथ रहकर अपनी पढ़ाई पूरी की थी। इस किस्से के जरिए पवार ने कश्मीर के लोगों के साथ अपने गहरे रिश्ते को उजागर किया।
देशवासियों के लिए संदेश
अंत में, शरद पवार ने देशवासियों से अपील की कि वे आतंकवाद के खिलाफ एकजुट रहें और इसे किसी धर्म या समुदाय से न जोड़ें। उन्होंने कहा कि हमें कश्मीरी समाज के उदाहरण से सीखना चाहिए, जिन्होंने एकता का संदेश दिया। “हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों और हमारा देश मजबूत और एकजुट रहे।”
ये भी पढ़ें: Thane Bribery: ठाणे में सरकारी अफसर ले रहे रिश्वत, ACB ने अकाउंटेंट के खिलाफ दर्ज किया मामला