महाराष्ट्र में RTE (राइट टू एजुकेशन) के तहत स्कूल एडमिशन तो शुरू हो गए हैं, लेकिन अब एक नई समस्या खड़ी हो गई है। कई सारे सरकारी स्कूलों में पढ़ाई सिर्फ चौथी या सातवीं क्लास तक ही होती है, जबकि RTE के तहत आठवीं क्लास तक के बच्चों को एडमिशन मिलता है। इस वजह से बच्चों के माता-पिता परेशान हैं।
पहले RTE के तहत बच्चे को प्राइवेट स्कूल में दाखिला मिल जाता था, तो वो दसवीं क्लास तक उसी स्कूल में पढ़ सकता था। लेकिन अब महाराष्ट्र सरकार ने RTE के नियम बदल दिए हैं! इसके चलते जो प्राइवेट स्कूल 1 कि.मी के दायरे में सरकारी स्कूल के साथ हैं, उन्हें अब RTE के तहत एडमिशन देने की ज़रूरत नहीं है।
सरकार के इस नए फैसले से RTE में शामिल स्कूलों की संख्या 8800 से बढ़कर 75,000 हो गई है। सीटों की संख्या भी बढ़ी है, पर बहुत से अभिभावकों को यह चिंता सता रही है कि इनमें से कई स्कूलों में सिर्फ चौथी या सातवीं क्लास तक ही पढ़ाई होती है। बच्चों को बाद में फिर से स्कूल बदलना होगा, जो कि एक बड़ी परेशानी है।
एक परेशान अभिभावक ने कहा, “सिर्फ सीटें बढ़ा देने से कुछ नहीं होता। बहुत से माता-पिता ऐसे स्कूल में एडमिशन नहीं लेना चाहेंगे, जहां आगे की पढ़ाई का इंतज़ाम नहीं है। RTE का तो मतलब ही यही था कि दसवीं तक हमें अपने बच्चे के स्कूल के बारे में सोचना नहीं पड़ेगा!”
हालांकि, सरकार का कुछ और ही कहना है। स्कूल शिक्षा विभाग के एक बड़े अधिकारी ने बताया, “ऐसे सभी सरकारी स्कूलों में जल्दी ही आगे की क्लासेज़ शुरू करने की योजना है, जहां बच्चों की संख्या ज़्यादा है। “
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