PM Modi ने हाल ही में आंध्र प्रदेश में एक रैली के दौरान एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने कहा कि वे कानूनी सलाह ले रहे हैं ताकि भ्रष्टाचार से लूटे गए धन को गरीबों को वापस किया जा सके। ये एक बेहद अहम कदम होगा, यदि इसे सफलतापूर्वक लागू किया जाता है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अब तक की अलग-अलग कार्रवाइयों में 1.25 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है। उन्होंने कहा कि अगर सभी एजेंसियों की कार्रवाइयों को जोड़ा जाए तो ये राशि और भी बड़ी होगी। ये राशि काफी भारी है और गरीब लोगों की भलाई के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि वे इस बारे में कानूनी सलाह ले रहे हैं कि ये जब्त किया गया धन गरीब लोगों को कैसे दिया जा सकता है। ये एक जटिल प्रक्रिया होगी क्योंकि इस धन की वैधानिक स्थिति और स्रोत का पता लगाना होगा। इसके अलावा, इसे वितरित करने की प्रक्रिया भी पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए।
इस घोषणा के साथ ही, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 2014 में किए गए वादे की भी चर्चा हो रही है। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि अगर विदेशी खातों में मौजूद भारत का सारा काला धन वापस लाया जाए तो देश के हर व्यक्ति के खाते में 15 लाख रुपये जमा हो सकते हैं। ये वादा अब तक पूरा नहीं हुआ है और विपक्ष ने इस पर लगातार आरोप लगाए हैं।
हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का रुख रहा है कि ये वादा एक चुनावी जुमला था और प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से जो लाभ दिया है, वही 15 लाख रुपये हैं। उदाहरण के तौर पर उन्होंने मुफ्त गैस कनेक्शन, शौचालय निर्माण और आवास योजनाओं का हवाला दिया है।
इस प्रकार, प्रधानमंत्री मोदी के इन बयानों और वादों को लेकर राजनीतिक चर्चा और बहस जारी है। जनता में भी इस तरह के वादों और उनकी पूर्ति को लेकर विभिन्न प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग इसे सरकार की उपलब्धि मानते हैं, जबकि कुछ लोग इसे चुनावी रणनीति के रूप में देखते हैं। हालांकि, ये देखना दिलचस्प होगा कि जब्त किए गए धन को गरीबों तक पहुंचाने की प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ती है।
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