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साफ भारत, स्वस्थ भारत: पीएम मोदी की वो योजना जिसने बचाई लाखों जानें

स्वच्छ भारत मिशन

स्वच्छ भारत मिशन: क्या आपने कभी सोचा था कि सफाई जैसी मामूली सी बात पूरे देश की किस्मत बदल देगी? शायद नहीं। लेकिन हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे सच कर दिखाया। उन्होंने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की, और बस फिर क्या था, पूरे देश में सफाई की एक लहर सी दौड़ पड़ी।

ये वो समय था जब भारत को गंदगी के लिए जाना जाता था। खुले में शौच, कूड़े के ढेर, और बीमारियां – ये सब हमारी पहचान बन गए थे। लेकिन मोदी जी ने ठान ली थी कि इस तस्वीर को बदलना है। और उन्होंने क्या किया? एक ऐसा अभियान शुरू किया जो हर घर, हर गली, और हर दिल तक पहुंचा।

स्वच्छ भारत मिशन की कामयाबी

आप सोच रहे होंगे कि ये स्वच्छ भारत मिशन इतना खास क्यों है? तो चलिए, मैं आपको बताता हूं। सबसे पहले तो इस मिशन ने करोड़ों लोगों को शौचालय दिए। जहां पहले लोग खुले में शौच करने को मजबूर थे, वहां अब उनके पास अपना निजी शौचालय है। ये सिर्फ सफाई की बात नहीं है, ये सम्मान की बात है।

फिर इस मिशन ने लाखों बच्चों की जान बचाई। हां, आप ठीक सुन रहे हैं! नेचर जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल करीब 60,000-70,000 बच्चों की जान इस मिशन की वजह से बच रही है। सोचिए, कितने परिवारों की खुशियां बच रही हैं।

और ये सिर्फ शुरुआत है। इस मिशन ने हमारे गांवों और शहरों की सूरत ही बदल दी है। जहां पहले कूड़े के ढेर हुआ करते थे, वहां अब साफ-सुथरी सड़कें हैं। लोगों में सफाई के प्रति जागरूकता आई है। अब वो समझते हैं कि स्वच्छता सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं, हर नागरिक की जिम्मेदारी है।

दुनिया भर में तारीफ

अब तो दुनिया भी हमारी तारीफ कर रही है। अमेरिका जैसे देश में भी इस मिशन पर शोध हो रहे हैं। वहां के वैज्ञानिक हैरान हैं कि कैसे इतने बड़े देश में इतनी बड़ी क्रांति आई। WHO ने भी कहा है कि 2014 की तुलना में 2019 में डायरिया से होने वाली मौतों में 3 लाख की कमी आई है। ये कोई छोटी बात नहीं है।

आर्थिक फायदे भी कम नहीं हैं। जो परिवार अब ODF (खुले में शौच से मुक्त) गांवों में रहते हैं, उन्हें हर साल करीब 50,000 रुपये की बचत हो रही है। ये पैसे वो अपने बच्चों की पढ़ाई या अपने घर के विकास में लगा सकते हैं।

महिलाओं के लिए वरदान

स्वच्छ भारत मिशन महिलाओं के लिए एक वरदान साबित हुआ है। पहले जहां महिलाओं को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता था, जो कि असुरक्षित और असम्मानजनक था, वहीं अब 93% महिलाएं घर पर ही सुरक्षित महसूस करती हैं। ये उनकी गरिमा और स्वास्थ्य दोनों के लिए बहुत जरूरी है।

चुनौतियां और आगे का रास्ता

हालांकि, अभी भी कुछ चुनौतियां हैं। कुछ लोग अभी भी पुरानी आदतों को नहीं छोड़ पा रहे हैं। कुछ जगहों पर शौचालयों का रखरखाव ठीक से नहीं हो रहा। लेकिन सरकार इन मुद्दों पर भी काम कर रही है। लोगों को जागरूक किया जा रहा है और शौचालयों के रखरखाव के लिए नए तरीके अपनाए जा रहे हैं।

आने वाले समय में, स्वच्छ भारत मिशन और भी व्यापक होगा। इसमें सिर्फ सफाई ही नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वस्थ जीवनशैली को भी शामिल किया जाएगा। ये सिर्फ एक मिशन नहीं, बल्कि एक जीवन शैली बन गया है।

अंत में, ये कहना गलत नहीं होगा कि स्वच्छ भारत मिशन ने सच में भारत का चेहरा बदल दिया है। ये सिर्फ सफाई की बात नहीं है, ये देश के विकास और गौरव की बात है। और इस बदलाव की शुरुआत हम सबसे होती है। तो आइए, हम सब मिलकर इस मिशन को और आगे ले जाएं, ताकि हमारा भारत न सिर्फ स्वच्छ हो, बल्कि दुनिया में सबसे आगे हो।

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