कर्नाटक की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस पार्टी ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ एक मामला दर्ज कराया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर एक विवादास्पद वीडियो पोस्ट किया है।
इस वीडियो में राहुल गांधी के एक एनिमेटेड चरित्र को आरक्षण टोकरी में मुस्लिम समुदाय का एक और “अंडा” रखते हुए दिखाया गया है। फिर वीडियो में तीनों अंडे फूट जाते हैं और मुस्लिम समुदाय का अंडा बड़ा होता है। इसमें कांग्रेस नेताओं को मुस्लिम समुदाय का पक्ष लेते हुए दिखाया गया है।
कांग्रेस का आरोप है कि इस वीडियो में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदायों के सदस्यों को भड़काने की कोशिश की गई है। उनका कहना है कि यह वीडियो जानबूझकर विभिन्न समुदायों के बीच घृणा और शत्रुता फैलाने के लिए बनाया गया है।
इसी आधार पर कांग्रेस ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय और कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र के खिलाफ एक प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराई है। पुलिस ने इस मामले में जनप्रतिनिधि कानून और भारतीय दंड संहिता की धारा 505(2) के तहत केस दर्ज किया है।
इस FIR पर प्रतिक्रिया देते हुए, भाजपा नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर कहा कि कांग्रेस को वास्तव में भाजपा को धन्यवाद देना चाहिए कि उसने घोषणापत्र को इस तरह से लोगों तक पहुंचाया है। उन्होंने आगे कहा कि भारत ने कांग्रेस के “भयावह मंसूबों” को देख लिया है और अब मतदाताओं का सामना करना होगा।
यह पूरा मामला राजनीतिक तनाव और चुनावी माहौल में विभिन्न समुदायों के बीच संवाद के महत्व को उजागर करता है। सरकारी और राजनीतिक दलों को संवेदनशील मुद्दों पर बहुत सावधानी से बात करनी चाहिए ताकि किसी भी समुदाय की भावनाएं आहत न हों। राजनीतिक लाभ के लिए समुदायों के बीच विभाजन और घृणा फैलाना लोकतंत्र के लिए घातक साबित हो सकता है।
इस प्रकार, इस विवाद ने एक बार फिर से यह बताया है कि राजनीतिक दलों को विभिन्न समुदायों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए और उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। भविष्य में भी इस तरह के विवादों से बचने के लिए, सभी पार्टियों को अपनी बयानबाजी पर अंकुश लगाना होगा।