विजय वडेट्टीवार के बयान ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। वडेट्टीवार, जो कांग्रेस पार्टी के प्रमुख नेताओं में से एक हैं, ने हाल ही में बयान दिया कि 2008 के मुंबई आतंकी हमले में शहीद हुए पुलिस अफसर हेमंत करकरे की हत्या किसी भारतीय अधिकारी ने की थी, न कि पाकिस्तानी आतंकवादियों ने।
वडेट्टीवार का यह बयान शमसुद्दीन मुश्रिफ की पुस्तक “Who Killed Hemant Karkare?” से लिया गया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने केवल इस पुस्तक से उद्धृत किया था और अपने बयान का मतलब कुछ और नहीं था। हालांकि, इस बयान से एक बवाल खड़ा हो गया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आरोप लगाया कि कांग्रेस 2008 के मुंबई हमलों को पाकिस्तान से प्रेरित नहीं मानती है।
भाजपा ने कहा कि मुंबई हमलों के मामले में मुकदमे के दौरान कई सबूत पेश किए गए थे, जिनसे साफ होता है कि यह हमला पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों द्वारा किया गया था। भाजपा ने यह भी कहा कि कांग्रेस ने भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर बमबारी की प्रामाणिकता पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने मणि शंकर अय्यर के उस बयान का भी हवाला दिया, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान जाकर इस्लामाबाद से मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने में मदद मांगी थी।
इस विवाद ने महाराष्ट्र में एक बड़े राजनीतिक झगड़े का रूप ले लिया है और विभिन्न राजनीतिक दलों से इस पर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। भाजपा ने इस मुद्दे पर वडेट्टीवार के खिलाफ राज्य चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज की है। वहीं, कांग्रेस ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा है कि वडेट्टीवार का बयान पूरी तरह से गलत तरीके से पेश किया गया है।
इस विवाद ने कांग्रेस को असहज स्थिति में डाल दिया है और उसे अपने मुख्य नेता के बयान पर स्पष्टीकरण देना पड़ा है। इस मुद्दे पर आगे की जांच से इसके पीछे के तथ्यों का पता चलेगा और यह भी स्पष्ट होगा कि क्या वडेट्टीवार का बयान केवल एक उद्धरण था या इसके पीछे कुछ और मकसद था।
इस प्रकार, राजनीतिक बयानों और उनके मतलब को लेकर एक बार फिर से विवाद उभरा है। इससे एक बार फिर यह बात साबित होती है कि राजनीतिक नेताओं को अपने बयानों पर बहुत सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि उनके बयान किसी भी तरह से गलत तरीके से पेश किए जा सकते हैं और इससे बड़े विवाद खड़े हो सकते हैं।