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महिला सुरक्षा पर राष्ट्रपति मुर्मू का बड़ा बयान: “अपराधी खुले घूमते हैं, पीड़ित डर के साये में जी रहे”

महिला सुरक्षा पर राष्ट्रपति मुर्मू का बड़ा बयान: "अपराधी खुले घूमते हैं, पीड़ित डर के साये में जी रहे
महिला सुरक्षा पर राष्ट्रपति मुर्मू का बड़ा बयान: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर चिंता जाहिर करते हुए समाज और न्याय प्रणाली को एक कठोर संदेश दिया है। उनकी यह टिप्पणी देशभर में महिलाओं के प्रति हो रहे अपराधों पर बढ़ते आक्रोश के बीच आई है। सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन में उन्होंने अपने समापन भाषण के दौरान यह बातें कहीं। राष्ट्रपति का यह बयान महिलाओं की सुरक्षा और समाज में उनके प्रति हो रहे अन्याय पर एक गंभीर विचार विमर्श की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

राष्ट्रपति मुर्मू की चिंता

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने भाषण में महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह समाज के लिए एक दुखद स्थिति है कि अपराधी बेखौफ होकर खुलेआम घूमते रहते हैं, जबकि उनके अपराधों से पीड़ित लोग डर के साये में जीने को मजबूर होते हैं। महिला पीड़ितों की स्थिति और भी बदतर हो जाती है क्योंकि समाज से उन्हें कोई समर्थन नहीं मिलता।

राष्ट्रपति ने कहा, “यह हमारे सामाजिक जीवन का एक दुखद पहलू है कि, कुछ मामलों में, साधन-सम्पन्न लोग अपराध करने के बाद भी निर्भीक और स्वच्छंद घूमते रहते हैं। जो लोग उनके अपराधों से पीड़ित होते हैं, वे डरे-सहमे रहते हैं, मानो उन्हीं बेचारों ने कोई अपराध कर दिया हो। महिला पीड़ितों की स्थिति और भी बदतर है क्योंकि समाज के लोग भी उनका समर्थन नहीं करते हैं।”

महिला सुरक्षा पर बढ़ती चिंताएं

हाल के दिनों में देशभर में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिन्होंने महिला सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या का मामला हो या मलयालम फिल्म उद्योग में अभिनेताओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न और दुष्कर्म के दर्जनों मामले, इन सभी घटनाओं ने समाज को झकझोर कर रख दिया है। महिलाओं के प्रति इस बढ़ती हिंसा और अन्याय के खिलाफ समाज में आक्रोश फैल रहा है और महिलाओं की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की जा रही है।

न्यायिक प्रणाली में सुधार की आवश्यकता

राष्ट्रपति मुर्मू ने न्यायिक प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि सभी हितधारकों को मिलकर काम करना होगा ताकि महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय को रोका जा सके। उन्होंने कहा, “मुझे बताया गया है कि हाल के दिनों में समय पर प्रशासन, बुनियादी ढांचे, सुविधाओं, प्रशिक्षण और जनशक्ति की उपलब्धता में सुधार हुआ है। लेकिन इन सभी क्षेत्रों में अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।”

उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के चयन समितियों में महिलाओं की संख्या में वृद्धि से सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं, लेकिन अभी भी सुधार की गति को तेज करने की जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट का राष्ट्रीय सम्मेलन

सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त और 1 सितंबर को जिला न्यायपालिका का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया। इस सम्मेलन में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की जिला न्यायपालिका से 800 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। राष्ट्रपति मुर्मू और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस अवसर पर अदालती मामलों को टालने की प्रथा का समाधान ढूंढने तथा “तारीख पर तारीख” संस्कृति को समाप्त करने का आह्वान किया।

राष्ट्रपति मुर्मू का यह बयान समाज और न्याय प्रणाली दोनों के लिए एक गंभीर चेतावनी है। महिला सुरक्षा को लेकर उठे सवालों को नजरअंदाज करना अब संभव नहीं है। यह समय है कि हम सभी मिलकर काम करें और समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और सुरक्षा को सुनिश्चित करें।


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