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Pressure Tactic: महाराष्ट्र में ‘ऑल इज वेल?’ सरकार बनाने को लेकर एकनाथ शिंदे ने फिर टालीं मीटिंग्स

Pressure Tactic: महाराष्ट्र में 'ऑल इज वेल?' सरकार बनाने को लेकर एकनाथ शिंदे ने फिर टालीं मीटिंग्स
Pressure Tactic: महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों गहमागहमी बढ़ती जा रही है। “ऑल इज वेल?” (All Is Well?) जैसे सवाल उठने लगे हैं क्योंकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपनी महत्वपूर्ण बैठकों को बार-बार टाल दिया है। वहीं, डिप्टी सीएम अजित पवार दिल्ली रवाना हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में राजनीतिक अटकलें तेज हो गई हैं।

शिंदे ने क्यों टालीं मीटिंग्स?

रविवार को सतारा स्थित अपने गांव से लौटने के बाद एकनाथ शिंदे की मीटिंग्स को लेकर उम्मीद थी कि सोमवार को वह अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार गठन पर चर्चा करेंगे। हालांकि, शिंदे ने एक बार फिर से अपनी सभी मीटिंग्स को रद्द कर दिया।

उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि वह बुखार से पीड़ित हैं। उन्होंने विधायकों के साथ भी प्रस्तावित बैठक को स्थगित कर दिया। यह दावा किया जा रहा है कि शिंदे अभी भी स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी है कि शिंदे यह कदम किसी “दबाव की रणनीति” (Pressure Tactic) के तहत उठा रहे हैं।


अजित पवार की दिल्ली यात्रा: क्या हो सकता है उद्देश्य?

उधर, उपमुख्यमंत्री अजित पवार दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। उनके साथ सुनील तटकरे और प्रफुल्ल पटेल भी दिल्ली जा रहे हैं। यह तय नहीं है कि उनकी इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य क्या है, लेकिन यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात कर सकते हैं।

दिल्ली में यह चर्चा भी है कि अजित पवार राज्य में अपने लिए और बड़ी भूमिका की तलाश कर रहे हैं। इस बीच, भाजपा ने 5 दिसंबर को शपथ ग्रहण समारोह की तैयारी शुरू कर दी है।


शिंदे की मांग और भाजपा का रुख

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि एकनाथ शिंदे गृह मंत्रालय जैसे बड़े पद के लिए अड़े हुए हैं। भाजपा नेतृत्व को इस संबंध में अंतिम फैसला लेना है। शिंदे गुट के विधायकों का मानना है कि महाराष्ट्र में शिवसेना को प्रभावी बनाए रखने के लिए उन्हें महत्वपूर्ण मंत्रालय मिलना चाहिए।

इसके अलावा, शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की भी अटकलें थीं। हालांकि, उन्होंने खुद ट्वीट कर यह साफ कर दिया कि उन्हें सत्ता की कोई लालसा नहीं है। मराठी में किए गए अपने ट्वीट में उन्होंने कहा, “यदि मुझे सत्ता की चाहत होती तो मैं केंद्र में मंत्री बन सकता था, लेकिन मेरी प्राथमिकता शिवसेना के संगठन को मजबूत करना है।”


भाजपा विधायक दल की बैठक क्यों नहीं हुई?

दिलचस्प बात यह है कि अभी तक भाजपा विधायक दल की बैठक नहीं हो सकी है। इससे साफ है कि मुख्यमंत्री और अन्य प्रमुख पदों को लेकर अब भी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।

भाजपा के भीतर भी इस बात पर मंथन चल रहा है कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद किसे सौंपा जाए। देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे दोनों इस रेस में माने जा रहे हैं।


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