Rane’s Controversial Statement: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर बड़ा भूचाल आ गया है। इस बार विवाद की वजह बीजेपी नेता नारायण राणे का एक बयान है, जिसमें उन्होंने शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे को लेकर चौंकाने वाली बात कही है। विधानसभा चुनाव के दौरान दिया गया यह बयान अब तूल पकड़ता जा रहा है।
चुनावी सभा में भड़के राणे महाराष्ट्र के कुडाल विधानसभा क्षेत्र में राणे का विवादित बयान (Rane’s Controversial Statement) सुर्खियों में है। चुनाव प्रचार के दौरान नारायण राणे ने उद्धव ठाकरे और उनके परिवार पर जमकर निशाना साधा।
राणे ने कहा कि आज अगर बाला साहेब जिंदा होते तो उद्धव ठाकरे को गोली मार देते। यह बयान सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया और लोग इस पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। राणे ने यह भी कहा कि उद्धव ठाकरे का व्यवहार उनके परिवार की प्रतिष्ठा के अनुरूप नहीं है।
हिंदुत्व और धार्मिक मुद्दे बाला साहेब के नाम पर उद्धव पर हमला (Attack on Uddhav Using Balasaheb’s Name) करते हुए राणे ने एक बड़ा मुद्दा उठाया। उन्होंने आदित्य ठाकरे के एक बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर सोसायटी में बकरीद की इजाजत नहीं देनी है तो दिवाली की कंदील भी उतार दी जाए।
इस बयान पर भड़कते हुए राणे ने कहा कि बाला साहेब ठाकरे के समय में ऐसी बात सोचने की भी किसी की हिम्मत नहीं होती थी। उन्होंने कहा कि बाला साहेब हिंदुत्व के लिए हमेशा मजबूती से खड़े रहे और कभी समझौता नहीं किया।
मुख्यमंत्री काल पर तीखे सवाल राणे ने उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री काल को लेकर भी कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि उद्धव ने अपने ढाई साल के कार्यकाल में सिर्फ दो दिन काम किया। राणे के अनुसार, उद्धव ने हिंदुत्व से समझौता करके मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल की और अब फिर से वही कुर्सी चाहते हैं।
उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि महाराष्ट्र की जनता अब ऐसे लोगों को सत्ता नहीं सौंपेगी। राणे ने यह भी आरोप लगाया कि उद्धव ने कोरोना काल में भी घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं की और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही सरकार चलाई।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और विवाद राणे के इस बयान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति गरमा गई है। शिवसेना (UBT) के नेताओं ने इस बयान की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि राणे बाला साहेब के नाम का इस्तेमाल करके सस्ती राजनीति कर रहे हैं।
वहीं, बीजेपी के कई नेताओं ने राणे के बयान का समर्थन किया है। उनका कहना है कि उद्धव ठाकरे ने वास्तव में शिवसेना के मूल सिद्धांतों से समझौता किया है। यह विवाद आने वाले दिनों में और बड़ा हो सकता है क्योंकि विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और हर पार्टी अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकना चाहती है।