भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ब्याज दरों से जुड़ी नीतिगत बैठक, देश की आर्थिक सेहत के ताजा आंकड़े, और वैश्विक बाजारों के उतार-चढ़ाव – यह सभी मिलकर इस हफ्ते निवेशकों का ध्यान खींचेंगे। विश्लेषकों का मानना है कि बीते वित्तीय वर्ष (2023-24) के शानदार अंत के बाद बाजार इसी सकारात्मक गति को जारी रखना चाहेगा।
शेयर बाजार में निवेश करने वालों के लिए यह हफ्ता काफी अहम है। RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) 3 से 5 अप्रैल के बीच बैठक करेगी जिसमें ब्याज दरों पर फैसला होगा। दरों में बदलाव से बाजार पर सीधा असर पड़ता है। इसके अलावा, देश की ताजा आर्थिक स्थिति को दर्शाने वाले कई अहम आंकड़े भी इसी हफ्ते जारी होंगे।
RBI की नीति के अलावा, निवेशक अन्य महत्वपूर्ण कारकों पर भी नजर रखेंगे। इनमें विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की खरीद-फरोख्त, रुपए-डॉलर का भाव, और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (ब्रेंट क्रूड) की कीमतें शामिल हैं। भारत और अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के आंकड़े (PMI) भी बाजार के रुझान को प्रभावित कर सकते हैं। अमेरिका के रोजगार बाजार से जुड़े आंकड़े (नॉन-फार्म पेरोल्स) भी काफी अहम माने जाते हैं।
विशेषज्ञों की राय में इन सभी वजहों से बाजार में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। अमेरिकी फेडरल बैंक के अध्यक्ष का बयान और अमेरिकी बाजारों का प्रदर्शन भी भारतीय बाजार की दिशा तय करने में भूमिका निभाएंगे। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि बीते वित्तीय वर्ष में भारतीय शेयर बाजार के अच्छे प्रदर्शन से निवेशकों में उत्साह है।
इस हफ्ते एक और अहम घटनाक्रम होगा। 1 अप्रैल से ऑटोमोबाइल कंपनियां मार्च महीने के सेल्स (बिक्री) के आंकड़े जारी करना शुरू करेंगी। इन आंकड़ों पर भी निवेशकों की नजर रहेगी क्योंकि ऑटो सेक्टर को अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य का एक अहम सूचक माना जाता है।