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Republic Day Tableau Selection Process: गणतंत्र दिवस परेड – क्या सभी राज्यों को मिलता है समान अवसर? कैसे होता है झांकियों का चयन

Republic Day Tableau Selection Process: गणतंत्र दिवस परेड - क्या सभी राज्यों को मिलता है समान अवसर? कैसे होता है झांकियों का चयन

Republic Day Tableau Selection Process: भारत हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाता है। यह दिन न केवल हमारे संविधान लागू होने का प्रतीक है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को दिखाने का भी अवसर है। दिल्ली के कर्तव्य पथ पर होने वाली भव्य परेड इसका मुख्य आकर्षण होती है। परेड में राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और मंत्रालयों की झांकियां खास होती हैं।

लेकिन क्या आपने सोचा है कि इन झांकियों का चुनाव कैसे किया जाता है? क्या हर राज्य को अपनी झांकी दिखाने का मौका मिलता है? आइए इस प्रक्रिया को समझते हैं।


Republic Day Tableau Selection Process: झांकियों के लिए कैसे तय होती है थीम?

गणतंत्र दिवस झांकी (Republic Day Tableau) हर साल एक खास थीम पर आधारित होती है। 2025 की थीम है: “स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास”। इस थीम के जरिए भारत की ऐतिहासिक धरोहर और आधुनिक प्रगति को दिखाया जा रहा है।

राज्यों और मंत्रालयों को इस थीम पर अपने-अपने डिजाइन बनाने होते हैं। हर राज्य अपनी संस्कृति, परंपराओं, उपलब्धियों और ऐतिहासिक स्थलों को ध्यान में रखते हुए झांकी का मॉडल बनाता है। उदाहरण के लिए, असम ने अपनी झांकी में चराईदेव मोइदाम (जो एक यूनेस्को धरोहर स्थल है) और काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को शामिल किया।


झांकी चयन प्रक्रिया 2025 (Tableau Selection Process 2025)

झांकियों का चयन एक लंबी और सख्त प्रक्रिया के जरिए होता है। रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) इस प्रक्रिया की जिम्मेदारी संभालता है। झांकियों के डिजाइनों की जांच और चयन एक विशेषज्ञ कमेटी करती है।

चयन के चार मुख्य चरण:

  1. प्रस्ताव भेजना: सभी राज्य और मंत्रालय रक्षा मंत्रालय को अपनी झांकी का डिजाइन और थीम भेजते हैं।
  2. प्रारंभिक चयन: विशेषज्ञ कमेटी डिजाइनों को देखती है और उनमें सुधार के सुझाव देती है।
  3. 3D मॉडल बनाना: चयनित डिजाइनों के आधार पर झांकियों के 3D मॉडल बनाए जाते हैं।
  4. अंतिम फैसला: कमेटी इन मॉडलों का मूल्यांकन करती है और फाइनल झांकियों का चयन करती है।

यह पूरी प्रक्रिया चार राउंड में पूरी होती है। केवल उन्हीं राज्यों और मंत्रालयों को सूचना दी जाती है, जिनकी झांकी अंतिम सूची में शामिल होती है।


क्या हर राज्य को मौका मिलता है?

यह सवाल अक्सर पूछा जाता है कि क्या गणतंत्र दिवस परेड में हर राज्य को अपनी झांकी दिखाने का मौका मिलता है। इसका जवाब है- नहीं।

झांकियों के लिए रोटेशन पॉलिसी लागू की गई है। इसका मतलब है कि हर राज्य को तीन साल में एक बार अपनी झांकी कर्तव्य पथ पर दिखाने का अवसर मिलता है। यह नीति इसलिए बनाई गई है ताकि सभी राज्यों को समान मौका दिया जा सके।

उदाहरण:

  • इस साल (2025) परेड में 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियां शामिल हैं।
  • असम, जिसकी झांकी पिछले साल (2024) भी परेड का हिस्सा नहीं थी, इस साल भी इसमें जगह नहीं बना पाई। हालांकि, असम की झांकी लाल किले पर आयोजित ‘भारत पर्व’ में देखी जा सकेगी।

भारत पर्व: झांकियों के लिए दूसरा मंच

जो राज्य कर्तव्य पथ की परेड में हिस्सा नहीं ले पाते, उनके लिए ‘भारत पर्व’ एक बड़ा मंच है। यह आयोजन 26 जनवरी से 31 जनवरी तक दिल्ली के लाल किले पर होता है।

यहां राज्यों और मंत्रालयों को अपनी झांकियां दिखाने का मौका मिलता है। इसके साथ ही, यहां पर देशभर से आए कलाकार अपनी कला, नृत्य और संगीत का प्रदर्शन करते हैं। जो लोग कर्तव्य पथ की परेड नहीं देख पाते, वे भारत पर्व में जाकर भारत की विविधता का आनंद ले सकते हैं।


स्कूल के बच्चों का परफॉर्मेंस कैसे चुना जाता है?

गणतंत्र दिवस परेड में बच्चों का डांस और प्रदर्शन भी बेहद खास होता है। स्कूलों को अपनी परफॉर्मेंस का वीडियो और प्रस्ताव भेजना होता है।

इसके बाद एक विशेषज्ञ कमेटी इन प्रस्तुतियों को देखती है।
कमेटी यह तय करती है कि कौन-कौन से स्कूल परेड में हिस्सा लेंगे। चयनित बच्चों को परेड के लिए महीनों पहले से ट्रेनिंग दी जाती है।


परेड के पीछे कितनी मेहनत होती है?

गणतंत्र दिवस परेड की तैयारी महीनों पहले शुरू हो जाती है।
रक्षा मंत्रालय सभी राज्यों, मंत्रालयों और विभागों के साथ समन्वय करता है।
इसके साथ ही, संस्कृति मंत्रालय कला और संस्कृति को बढ़ावा देने में मदद करता है।

परेड के दौरान दिखने वाली हर झांकी, हर परफॉर्मेंस, और हर अनुशासन को कई रिहर्सल्स के बाद पेश किया जाता है।


26 जनवरी क्यों है खास?

26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था। यह तारीख इसलिए चुनी गई क्योंकि 26 जनवरी 1930 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज (Complete Independence) का ऐलान किया था।

गणतंत्र दिवस केवल एक परेड नहीं, बल्कि यह हमारे लोकतंत्र, विविधता और एकता का उत्सव है।


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