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‘ऑर्गनाइजर’ मुखपत्र बोला- “मोदी की 400+ सीटों की अपील थी कार्यकर्ताओं को लक्ष्य और विपक्ष को चुनौती”

'ऑर्गनाइजर' मुखपत्र बोला- "मोदी की 400+ सीटों की अपील थी कार्यकर्ताओं को लक्ष्य और विपक्ष को चुनौती"

आरएसएस की पत्रिका ‘ऑर्गनाइजर’ के ताजा अंक में एक लेख प्रकाशित हुआ है, जिसमें भाजपा नेतृत्व और कार्यकर्ताओं पर अप्रत्यक्ष हमला किया गया है। आरएसएस के वरिष्ठ विचारक और राष्ट्रीय टेलीविजन बहसों में प्रवक्ता रतन शारदा ने इस लेख को लिखा है। इसमें बताया गया है कि 2024 के आम चुनावों के नतीजे भाजपा के अति आत्मविश्वासी कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए एक कड़ी परीक्षा साबित हुए हैं। शारदा ने जोर दिया कि प्रधानमंत्री मोदी का 400+ सीटों का आह्वान भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए एक लक्ष्य और विपक्ष के लिए एक चुनौती था।

कड़ी मेहनत और सोशल मीडिया

शारदा ने तीखे शब्दों में लिखा कि “लक्ष्यों को मैदान में कड़ी मेहनत से हासिल किया जाता है, न कि सोशल मीडिया पर पोस्टर और सेल्फी शेयर करके।” यह पहली बार है कि आरएसएस के किसी वरिष्ठ विचारक ने भाजपा की विफलताओं के खिलाफ खुलकर बात की है। उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि आरएसएस भाजपा की फील्ड फोर्स नहीं है और भाजपा को खुद अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।

चुनाव में उम्मीदवारों की गलतियाँ

शारदा ने भाजपा नेतृत्व की आलोचना की कि उन्होंने कई जगह पर उम्मीदवारों को बदलकर स्थानीय नेताओं को नुकसान पहुंचाया और दलबदलुओं को प्राथमिकता दी। इसका परिणाम यह हुआ कि स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता उदासीन हो गए और चुनाव परिणाम प्रभावित हुआ। उन्होंने उदाहरण दिया कि हिमाचल प्रदेश के पिछले चुनाव में 30% बागियों के कारण भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था।

शारदा ने भाजपा के सांसदों और विधायकों की आलोचना की जो आम जनता के लिए दुर्गम हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा या आरएसएस के किसी भी कार्यकर्ता और आम नागरिक की सबसे बड़ी शिकायत स्थानीय सांसद या विधायक से मिलने में कठिनाई या असंभवता रही है। उन्होंने पूछा कि भाजपा के चुने हुए सांसद और मंत्री हमेशा ‘व्यस्त’ क्यों रहते हैं और अपने निर्वाचन क्षेत्रों में दिखाई क्यों नहीं देते?

महाराष्ट्र में अनावश्यक राजनीति

शारदा ने भाजपा की महाराष्ट्र इकाई पर अनावश्यक राजनीति और जोड़-तोड़ में लिप्त होने का आरोप लगाया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब भाजपा और शिवसेना (शिंदे) के पास आरामदायक बहुमत था, तो अजित पवार को सरकार में शामिल करने की क्या जरूरत थी। उन्होंने कहा कि इस कदम से भाजपा कार्यकर्ताओं को चोट पहुंची और पार्टी की ब्रांड वैल्यू कम हो गई।

शारदा ने भाजपा से ईमानदारी से आत्मनिरीक्षण करने और अपने रास्ते में सुधार करने की अपील की। उन्होंने कहा कि भाजपा को लोगों का सद्भावना जीतकर और अधिक मजबूत होकर वापस आना चाहिए। आरएसएस के इस लेख ने भाजपा नेतृत्व और कार्यकर्ताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कैसे वे अपने कार्यशैली में सुधार कर सकते हैं।

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