मुंबई वालों, क्या आप जानते हैं कि मुंबई मेट्रो वन की खरीद-फरोख्त को लेकर बड़ा बवाल मचा हुआ है? RTI एक्टिविस्ट ने एक रिपोर्ट मांगी जो इस डील के पीछे की सच्चाई बता सकती है, लेकिन MMRDA रिपोर्ट देने से कतरा रहा है। आइए जानते हैं आखिर क्यों?
चलिए, थोड़ा पीछे चलते हैं। दरअसल बात ये है कि मुंबई मेट्रो वन बनाने में सरकार और एक प्राइवेट कंपनी ने हाथ मिलाया था। कुछ समय से इन दोनों के बीच खटपट चल रही थी, और अब सरकार उस कंपनी का हिस्सा खरीदना चाहती है। लेकिन इस खरीद का सही दाम क्या है? इसके लिए सरकार ने एक कमेटी बनाई जिसके रिपोर्ट के आधार पर कीमत तय हुई।
अब मुंबई के एक RTI एक्टिविस्ट अनिल गलानी ने वो रिपोर्ट मांगी है, ताकि पता चल सके कि सरकार जो कीमत देने वाली है, वो सही है या नहीं। पर MMRDA इस रिपोर्ट को ‘कमर्शियल’ बताकर देने से मना कर रहा है! मतलब, जनता के पैसों के सौदे में जनता को ही अंधेरे में रखा जा रहा है।
अब यहां सवाल ये उठता है कि– क्यों भला कोई भी रिपोर्ट छुपाना चाहेगा? क्या ऐसा हो सकता है कि उस रिपोर्ट में मेट्रो की असल कीमत से ज़्यादा दाम तय किया गया हो? वैसे कुछ गलत तो लग ही रहा है।
ऐसे में अब गलानी जी का ये भी कहना है कि इतने बड़े सौदे में लोगों की राय ली जानी चाहिए थी। सरकार को चाहिए कि वो रिपोर्ट सबके सामने लाए और फिर जनता की राय है के बाद ही कोई फैसला करे।
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