निजी इक्विटी (PE) और उद्यम पूंजी (VC) निवेश कंपनियों के विकास और विस्तार के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं। जब निवेश के आंकड़ों में बड़ी गिरावट दर्ज की जाती है, तो यह आर्थिक स्थिति के बारे में चिंताएं पैदा करता है। वैश्विक आर्थिक मंदी, बढ़ती ब्याज दरें, और राजनीतिक अनिश्चितता जैसे कारक PE और VC निवेश को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में, जिन निवेशकों ने इन क्षेत्रों में अपनी पूंजी लगाई है, उनके लिए यह चिंताजनक स्थिति है।
फरवरी महीने में निजी इक्विटी (PE) और उद्यम पूंजी (VC) के निवेश में 39% की महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई है। पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 3.7 अरब डॉलर के आसपास था जो इस साल घटकर मात्र 2.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। उद्योग लॉबी समूह आईवीसीए और सलाहकार फर्म ईवाई की रिपोर्ट के अनुसार, निवेश में यह गिरावट बाजार में व्याप्त अनिश्चितता का परिणाम है।
विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक आर्थिक मंदी, बढ़ती ब्याज दरें, और मुद्रास्फीति निवेश में इस गिरावट के प्रमुख कारण हैं। इसके साथ ही, भारत में निकट भविष्य में होने वाले चुनावों से भी निवेशक सतर्क हैं। चुनावी वर्ष में निवेशक कम जोखिम लेना पसंद करते हैं, जिसका असर निवेश के आंकड़ों पर दिखाई दे सकता है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सौदों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है जो यह दर्शाता है कि बाज़ार में अवसरों की कमी नहीं है।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि निवेशकों को इस समय घबराकर अपना निवेश वापस नहीं निकालना चाहिए, बल्कि बाज़ार की स्थितियों के सामान्य होते तक इंतज़ार करना चाहिए। उनका यह भी अनुमान है कि निकट भविष्य में लंबी अवधि के निवेश पर कम रिटर्न प्राप्त होने की संभावना है।