Shiv Sena Political Battle: महाराष्ट्र में 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनीति में एक नया विवाद सामने आया है। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के हेलिकॉप्टर की जांच ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। इस घटना ने शिवसेना का सियासी संग्राम (Shiv Sena Political Battle) को एक नया मोड़ दे दिया है।
बैग चेकिंग से शुरू हुआ विवाद सब कुछ तब शुरू हुआ जब चुनाव आयोग के अधिकारियों ने उद्धव ठाकरे के हेलिकॉप्टर और उनके सामान की जांच की। शिवसेना का सियासी संग्राम (Shiv Sena Political Battle) तब और गहरा गया जब ठाकरे ने इस जांच का वीडियो बनाना शुरू कर दिया। आम चुनावी जांच की यह घटना अचानक राज्य की राजनीति का सबसे गरम मुद्दा बन गई।
वीडियोग्राफर वाला बयान इस पूरे विवाद में सबसे चर्चित बयान तब सामने आया जब शिवसेना शिंदे गुट की नेता किरण पावस्कर ने उद्धव ठाकरे पर तंज कसा। उद्धव ठाकरे हेलिकॉप्टर जांच विवाद (Uddhav Thackeray Helicopter Check Row) में एक नया मोड़ तब आया जब पावस्कर ने कहा, “कल तक वह सिर्फ फोटोग्राफर थे, अब एकनाथ शिंदे की वजह से वीडियोग्राफर बन गए हैं।” यह टिप्पणी उद्धव ठाकरे के वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी के शौक पर कटाक्ष थी।
चुनाव आयोग की कार्रवाई पर सवाल पावस्कर ने आगे कहा कि एक पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते उद्धव ठाकरे को चुनाव आयोग के अधिकारियों का सम्मान करना चाहिए था। उन्होंने कहा, “क्या एक चुनावी अधिकारी का वीडियो बनाना सही है? क्या यह नियमों का उल्लंघन नहीं है?” इस बयान ने विवाद को एक नया आयाम दे दिया, जहां एक तरफ शिंदे गुट इसे नियम उल्लंघन बता रहा है, वहीं ठाकरे समर्थक इसे चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल के रूप में देख रहे हैं।
वर्ली की राजनीति विवाद में एक नया मोड़ तब आया जब पावस्कर ने आदित्य ठाकरे के वर्ली विधानसभा क्षेत्र में काम को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि आदित्य अपने क्षेत्र में दिखाई नहीं देते और उनका कोई कार्यालय भी नहीं है। पावस्कर का दावा है कि वर्ली में जो भी विकास कार्य हुए हैं, वह सिर्फ एकनाथ शिंदे की वजह से संभव हो पाए।
स्थानीय बनाम बाहरी की बहस मामले में एक और मोड़ तब आया जब पावस्कर ने मिलिंद देवड़ा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि देवड़ा न सिर्फ केंद्रीय मंत्री और सांसद रहे हैं, बल्कि उनके परिवार का इस क्षेत्र से पुराना नाता रहा है। पावस्कर ने आदित्य ठाकरे पर तंज कसते हुए कहा कि जो खुद बांद्रा से आए हैं, वह दूसरों को बाहरी कैसे कह सकते हैं?
मतदाताओं की नजर में विवाद स्थानीय मतदाताओं में इस विवाद को लेकर अलग-अलग राय देखने को मिल रही है। कुछ लोगों का मानना है कि यह मुद्दा बेवजह तूल पकड़ गया है, जबकि कुछ इसे चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता से जोड़कर देख रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर गरमागरम बहस चल रही है, जहां दोनों पक्षों के समर्थक अपने-अपने तर्क पेश कर रहे हैं।
चुनावी रणनीति का हिस्सा राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद आने वाले चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। शिंदे गुट इस मुद्दे को ठाकरे परिवार की छवि को प्रभावित करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है, जबकि उद्धव गुट इसे लोकतंत्र में संस्थाओं की निष्पक्षता का मुद्दा बना रहा है। आने वाले दिनों में यह विवाद और भी गहरा हो सकता है, क्योंकि चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं।
#MaharashtraPolitics #ShivSena #UddhavThackeray #ElectionRow #PoliticalBattle
ये भी पढ़ें: Rahul Plane Crash: सोनिया गांधी पर गृह मंत्री का तीखा वार; बीस बार असफल रहे राहुल, अब एक और विफलता तय