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शिव शंकर का श्रावण श्रृंगार: आज सोमवार से सजेगा सावन का सिंहासन, महाराष्ट्र में 15 दिन के बाद…

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भगवान शिव के प्रिय माह श्रावण का आगमन हो चुका है। इस पवित्र महीने में शिव भक्तों के मन में अलग ही उमंग और उल्लास देखने को मिलता है। आइए जानते हैं इस माह के महत्व और इससे जुड़ी परंपराओं के बारे में विस्तार से।

श्रावण मास का शुभारंभ श्रावण मास की शुरुआत 22 जुलाई, 2024 से हो गई है। यह हिंदू कैलेंडर का पांचवां महीना होता है, जो भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। उत्तर भारतीय परंपरा के अनुसार, इसी दिन से श्रावण मास की शुरुआत हो जाती है, जबकि महाराष्ट्र में मराठी संस्कृति के अनुसार यह 15 दिन बाद शुरू होगा। इस अंतर के बावजूद, पूरे देश में शिव भक्तों के मन उत्साह से भरे हुए हैं।

सोमवार का विशेष महत्व श्रावण मास में सोमवार का विशेष महत्व होता है। इस वर्ष कुल पांच सोमवार पड़ रहे हैं, जो शिव भक्तों के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं। माना जाता है कि सावन के सोमवार को व्रत रखने से पारिवारिक जीवन सुखी रहता है और जीवन में सुख-समृद्धि की कमी नहीं रहती। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

श्रावण मास के सोमवार की तिथियां

  1. पहला सोमवार: 22 जुलाई, 2024
  2. दूसरा सोमवार: 29 जुलाई, 2024
  3. तीसरा सोमवार: 5 अगस्त, 2024
  4. चौथा सोमवार: 12 अगस्त, 2024
  5. पांचवां सोमवार: 19 अगस्त, 2024

शुभ योग का संयोग इस वर्ष का श्रावण मास विशेष रूप से शुभ माना जा रहा है। पहले और अंतिम सोमवार को सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जो शिव भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। यह योग सभी कार्यों को सिद्ध करने की क्षमता रखता है। इसके अलावा, पहले सोमवार को प्रीति योग और अंतिम सोमवार को शोभन योग का संयोग भी है, जो अतिरिक्त शुभता प्रदान करता है।

विदर्भ: शिव भक्ति का केंद्र विदर्भ क्षेत्र प्राचीन काल से ही शिव भक्ति का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। यहां के प्रत्येक नगर, जंगल, नदी तट और पहाड़ों पर शिव मंदिर स्थापित हैं। श्रावण मास में इन मंदिरों में भक्तों की विशेष भीड़ उमड़ती है। कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में शामिल हैं:

  1. गोंदिया का नागराधाम
  2. गढ़चिरोली का मार्कंडेश्वर महादेव
  3. अमरावती के कौंडेश्वर, तपोवनेश्वर, और गडगड़ेश्वर
  4. यवतमाल का केदारेश्वर महादेव मंदिर
  5. अकोला का राजेश्वर मंदिर
  6. वर्धा का कोटेश्वर मंदिर
  7. चंद्रपुर का अंचलेश्वर मंदिर

ऐतिहासिक अंबरनाथ मंदिर अंबरनाथ पूर्व में स्थित लगभग 960 वर्ष पुराना ऐतिहासिक शिव मंदिर श्रावण मास में विशेष आकर्षण का केंद्र बन जाता है। यहां पूरे महीने भक्तों का तांता लगा रहता है, विशेषकर सावन के सोमवार को। इस दौरान बाजारों में भी विशेष चहल-पहल बढ़ जाती है। पूजन सामग्री और उपवास में खाने वाली वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है।

पुणे के प्रसिद्ध शिव मंदिर पुणे शहर भी श्रावण मास में शिव भक्ति के उल्लास से भर जाता है। यहां के कुछ प्रमुख शिव मंदिर हैं:

  1. धायरी का धारेश्वर मंदिर
  2. येरवडा का तारकेश्वर मंदिर
  3. बाणेर का बाणेश्वर मंदिर
  4. शनिवार पेठ का पेशवाकालीन ओंकारेश्वर मंदिर
  5. जंगली महाराज रोड का पातालेश्वर मंदिर
  6. वानवडी का अमृतेश्वर मंदिर

इन मंदिरों में सावन के सोमवार को हजारों शिवभक्त दर्शन के लिए आते हैं।

श्रावण मास की विशेषताएं

  1. इस दौरान साधु-संन्यासी एक ही स्थान पर रहकर धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करते हैं और अपने शिष्यों को ज्ञान देते हैं।
  2. श्रावण मास का प्रत्येक दिन फलदायी माना जाता है।
  3. लोग इस माह में शुद्ध सात्विक भोजन का सेवन करते हैं।
  4. फलों और पूजा सामग्री की मांग बढ़ जाती है, जिससे इनकी कीमतों में भी वृद्धि हो जाती है।

श्रावण शिवरात्रि श्रावण मास की शिवरात्रि भी विशेष महत्व रखती है। इस वर्ष यह 2 अगस्त, 2024 को मनाई जाएगी। शिवरात्रि की पूजा निशिथ काल में की जाती है, जो इस दिन दोपहर 3:26 बजे से अगले दिन दोपहर 3:50 बजे तक रहेगा।

श्रावण मास शिव भक्ति का एक महत्वपूर्ण समय है। यह माह न केवल आध्यात्मिक उन्नति का अवसर प्रदान करता है, बल्कि समाज में एकता और सद्भावना का संदेश भी देता है। भक्तों के लिए यह एक महीने का उत्सव है, जहां वे अपने आराध्य देव शिव के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करते हैं। श्रावण मास की यह परंपरा भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता को दर्शाती है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती रहती है। इस पवित्र माह में, हर शिव भक्त अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रयास करता है।

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