भिवंडी: महाराष्ट्र के भिवंडी शहर में शिक्षा के मंदिर को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। यहां सलाउद्दीन अय्यूबी मेमोरियल हाई स्कूल एंड कॉलेज के प्रिंसिपल और एक टीचर पर दसवीं के छात्र के साथ भेदभाव करने का आरोप लगा है। मामला इतना गंभीर है कि अब दोनों के खिलाफ पुलिस ने जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया है।
मिली जानकारी के मुताबिक, छात्र फहद फैज़ खान की मौजूदा शैक्षणिक वर्ष की ₹1,300 रुपये की फीस बाकी थी। इसी वजह से परीक्षा के दौरान शिक्षक ने उसे बाक़ी छात्रों से अलग ज़मीन पर बैठा दिया, जबकि दूसरे सभी विद्यार्थी कुर्सियों पर बैठे थे। ये अपमानजनक व्यवहार फहद के लिए बेहद दुखद साबित हुआ।
घटना के बाद फहद ने रोते हुए अपने पिता को पूरी बात बताई। पिता ने जब स्कूल प्रशासन से इस बर्ताव पर सवाल किया, तो स्कूल ने इसे ‘फीस न भरने की सज़ा’ बताकर अपने कदम को सही ठहराया।
View this post on Instagram
मामले की शिकायत मिलते ही शांतिनगर पुलिस स्टेशन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए स्कूल के प्रिंसिपल और संबंधित शिक्षक के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन) एक्ट की धारा 75 और 87 के तहत मामला दर्ज किया है। इन धाराओं के तहत किसी नाबालिग के साथ दुर्व्यवहार या भेदभाव करने पर सख्त सज़ा का प्रावधान है।
ये घटना शिक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े करती है। क्या फीस न भर पाने की सज़ा बच्चों को मानसिक रूप से तोड़ देना है? जहां शिक्षा समानता का अधिकार देती है, वहीं कुछ संस्थान अब भी पैसों के आगे इंसानियत भूलते दिख रहे हैं।
समाज और प्रशासन दोनों के लिए ये मामला एक सख्त चेतावनी है कि शिक्षा केवल आर्थिक नहीं, बल्कि नैतिक ज़िम्मेदारी भी है।
ये भी पढ़ें: भारत में कफ सीरप पीने से क्यों हुई बच्चों की मौत? WHO ने दी जानकारी