उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में सोमवार की शाम एक ऐसी घटना ने सबके दिलों को झकझोर कर रख दिया, जिसने न केवल एक परिवार के दर्द को उजागर किया, बल्कि समाज के सामने कई सवाल भी खड़े कर दिए। सहंसो थाना क्षेत्र के हनुमंतपुरा चौराहे के पास, 30 साल के पंकज ओझा ने गुस्से और हताशा में अपने ही पेट में सब्जी काटने वाला चाकू घोंप लिया। ये दर्दनाक कदम उसने अपनी पत्नी पूनम को बार-बार मनाने की नाकाम कोशिशों के बाद उठाया, जो महीनों से अपने मायके में रह रही थी। आखिर क्या थी इस दुखद घटना की वजह? आइए, इस कहानी के हर पहलू को जानते हैं।
प्यार, शादी और टूटते रिश्ते की दास्तां
पंकज और पूनम की शादी को 12 साल हो चुके थे। दोनों के तीन बच्चे हैं, जो इस रिश्ते की मासूम निशानियां हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से उनके बीच सबकुछ ठीक नहीं था। पूनम का आरोप है कि पंकज शराब के नशे में आए दिन उसके साथ मारपीट करता था। इस हिंसा से तंग आकर जनवरी में पूनम ने अपने मायके, अजीतगढ़िया सहंसो, का रुख कर लिया। चार महीने पहले उसने पंकज के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस भी दर्ज कराया था। सोमवार को कोर्ट में इस मामले की पेशी थी।
पेशी के बाद पंकज अपनी पत्नी से मिलने सहंसो पहुंचा। उसने पूनम को दुकान पर जाकर घर लौटने की गुहार लगाई, लेकिन पूनम ने साफ मना कर दिया। शायद ये वही पल था, जब पंकज का सब्र टूट गया। उसका दिल और दिमाग हताशा की आग में जल उठा।
सरेराह खुद को दी सजा
पत्नी की बेरुखी से आहत पंकज ने कुछ दूर जाकर खादी आश्रम के पास एक ऐसा कदम उठाया, जिसने वहां मौजूद हर शख्स को स्तब्ध कर दिया। उसने अपने पेट में चाकू घोंप लिया। खून से लथपथ पंकज कुछ देर सड़क किनारे पड़ा रहा। लेकिन उसकी जिजीविषा देखिए, उसने खुद अपने पेट पर अंगोछा बांधा और करीब 200 मीटर तक चलकर मदद की उम्मीद में आगे बढ़ा। आखिरकार, वो गिर पड़ा।
राहगीरों की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और उसे तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। वहां से उसकी गंभीर हालत को देखते हुए पहले जिला अस्पताल और फिर सैफई मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। डॉक्टर राहुल बाबू ने बताया कि पंकज के पेट में गहरा जख्म है और उसकी आंतें कट गई हैं। उसकी हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है।
पुलिस की जांच और अनसुलझे सवाल
थाना प्रभारी रामप्रकाश सिंह ने बताया कि प्रारंभिक जांच में ये मामला घरेलू विवाद और भावनात्मक असंतुलन का लग रहा है। पुलिस इस घटना की हर बारीकी से जांच कर रही है। लेकिन ये घटना सिर्फ एक पुलिस केस नहीं है। ये उस दर्द की चीख है, जो टूटते रिश्तों, नशे की लत और संवाद की कमी से उपजता है।
समाज के लिए सबक
पंकज और पूनम की कहानी सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि उन तमाम परिवारों की है, जो छोटी-छोटी बातों पर बिखर जाते हैं। शराब और घरेलू हिंसा जैसी समस्याएं न जाने कितने घरों को तबाह कर रही हैं। क्या हम अपने आसपास के लोगों की मदद नहीं कर सकते? क्या हम उन्हें समय रहते सही रास्ता नहीं दिखा सकते? ये घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि रिश्तों को बचाने के लिए संवाद, समझ और प्यार कितना जरूरी है।
पंकज की हालत अभी गंभीर है। उसके ठीक होने की कामना के साथ-साथ ये दुआ भी करें कि कोई और परिवार इस तरह के दर्द से न गुजरे।
ये भी पढ़ें: ममता पाठक को उम्रकैद: एक केमिस्ट्री प्रोफेसर की कहानी, जिसने हिला दिया इंटरनेट