नासिक में 2027 में होने वाला सिम्हास्थ कुंभ मेला (Simhastha Kumbh Mela, सिम्हास्थ कुंभ मेला) न केवल आस्था का केंद्र होगा, बल्कि यह तकनीक और परंपरा का अनूठा संगम भी बनेगा। महाराष्ट्र सरकार ने इस मेले को दुनिया के सबसे आधुनिक धार्मिक आयोजनों में से एक बनाने का फैसला किया है। इसके लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence, कृत्रिम बुद्धिमत्ता), ऑगमेंटेड रियलिटी (AR), और वर्चुअल रियलिटी (VR) जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। यह खबर नई पीढ़ी के उन लोगों के लिए है, जो तकनीक और संस्कृति के इस मेल को समझना चाहते हैं। आइए, इस कहानी को विस्तार से जानते हैं।
महाराष्ट्र सरकार ने 18 जून 2025 को घोषणा की कि नासिक के कुंभ मेले में भीड़ और यातायात प्रबंधन के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल किया जाएगा। इस मेले में लाखों श्रद्धालु गोदावरी नदी के पवित्र तट पर स्नान करने और त्र्यंबकेश्वर के दर्शन करने पहुंचेंगे। इस विशाल आयोजन को सुरक्षित और सुचारु बनाने के लिए सरकार ने एक सात सदस्यीय समिति बनाई है। इस समिति में सूचना प्रौद्योगिकी निदेशक, महाराष्ट्र सूचना प्रौद्योगिकी निगम के प्रबंध निदेशक, पर्यटन विभाग के उपसचिव, और नासिक मंडल के मंडल आयुक्त के प्रतिनिधि जैसे लोग शामिल हैं।
इस समिति का काम है कि मेले के दौरान भीड़ प्रबंधन (Crowd Management, भीड़ प्रबंधन) और यातायात को सुचारु रखने के लिए तकनीकी उपायों की योजना बनाए। इसके अलावा, यह समिति डिजिटल प्रदर्शनियों, ऑडियो-विजुअल साधनों, और AR/VR तकनीक के जरिए श्रद्धालुओं को एक अनोखा अनुभव देने की तैयारी करेगी। यह समिति टेलीकॉम कंपनियों से भी संपर्क करेगी, ताकि मेले में मोबाइल कनेक्टिविटी बिना किसी रुकावट के उपलब्ध रहे। यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि नासिक का कुंभ मेला सिर्फ 300 एकड़ में होगा, जबकि प्रयागराज का महाकुंभ 7,500 हेक्टेयर में फैला था। इतने छोटे क्षेत्र में लाखों लोगों को संभालना एक बड़ी चुनौती है।
इस साल प्रयागराज में हुए महाकुंभ ने तकनीक के उपयोग का एक शानदार उदाहरण पेश किया। वहां 1,800 सीसीटीवी कैमरों में से 160 AI-सक्षम थे, जो भीड़ की घनत्व को मापने और सुरक्षा सुनिश्चित करने में मददगार रहे। नासिक में भी कुछ ऐसा ही करने की योजना है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि यह मेला “आस्था और तकनीक का कुंभ” होगा। उन्होंने 2015 के नासिक कुंभ मेले का जिक्र किया, जिसमें कोई हताहत नहीं हुआ था। इस बार भी सरकार का लक्ष्य है कि तकनीक की मदद से मेला पूरी तरह सुरक्षित और व्यवस्थित हो।
मेले की तैयारी के लिए सरकार ने कई बड़े कदम उठाए हैं। नासिक-त्र्यंबकेश्वर रोड को 24 मीटर तक चौड़ा किया जाएगा। इसके साथ ही, गोदावरी नदी के किनारे एक रिवरफ्रंट रोड बनाने की संभावना को ड्रोन सर्वे के जरिए तलाशा जाएगा। मेले में आने वाले श्रद्धालु मुंबई, पुणे, शिर्डी, धुले, गुजरात, और जव्हार जैसे रास्तों से नासिक पहुंचेंगे। इन सभी रास्तों पर सड़कों को मजबूत किया जाएगा, और नासिक शहर को वाहन-मुक्त रखने के लिए पार्किंग की व्यवस्था होगी। श्रद्धालुओं को पार्किंग से शहर तक ले जाने के लिए हर तीन मिनट में इलेक्ट्रिक बसें चलेंगी।
हवाई और रेल यात्रा को भी आसान बनाने की योजना है। शिर्डी और ओझर हवाई अड्डों पर अतिरिक्त उड़ानों के लिए सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। नासिक में हेलीपैड बनाने की संभावना भी तलाशी जा रही है। रेलवे स्टेशनों जैसे नासिक रोड, इगतपुरी, और कसारा पर श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था होगी। इसके अलावा, त्र्यंबकेश्वर मंदिर और कुशावर्त जैसे पवित्र स्थलों का सौंदर्यीकरण किया जाएगा। नासिक में राम काल पथ परियोजना को अगले साल तक पूरा करने का लक्ष्य है। मंदिरों के आसपास की अनधिकृत संरचनाओं को हटाने के निर्देश भी दिए गए हैं।
महाराष्ट्र सरकार ने प्रयागराज के महाकुंभ से सबक लिया है। वहां 60 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया था। इस विशाल भीड़ को संभालने के लिए AI-सक्षम कैमरों और डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल किया गया। नासिक में भी ऐसा ही कुछ करने की योजना है। सरकार ने अनुमान लगाया है कि 2027 में पिछले मेले की तुलना में चार से पांच गुना ज्यादा भीड़ हो सकती है। इसलिए घाटों की संख्या, सड़कों, रेलवे, और हवाई यातायात की योजना को इस हिसाब से बनाया जा रहा है।
कुंभ मेले में तकनीक का उपयोग सिर्फ भीड़ प्रबंधन तक सीमित नहीं होगा। AR और VR के जरिए श्रद्धालुओं को मेले की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जानकारी दी जाएगी। डिजिटल प्रदर्शनियां लगाई जाएंगी, जहां लोग कुंभ की परंपराओं को इंटरैक्टिव तरीके से समझ सकेंगे। इसके लिए सरकार ने मेले का लोगो डिजाइन करने के लिए एक प्रतियोगिता की भी घोषणा की है। यह सब इस मेले को नई पीढ़ी के लिए और आकर्षक बनाएगा।
नासिक का कुंभ मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है। यह शहर की अर्थव्यवस्था को भी बदल सकता है। प्रयागराज में 2025 के महाकुंभ ने उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। फडणवीस ने कहा कि नासिक में भी ऐसा ही कुछ होगा। नासिक, जो अपनी अंगूर की खेती के लिए जाना जाता है, इस मेले के जरिए पर्यटन और उद्यमिता को बढ़ावा दे सकता है। युवाओं को इस आयोजन से जोड़ने की योजना है, ताकि वे अपने कौशल और रचनात्मकता का प्रदर्शन कर सकें।
इस मेले में आने वाले श्रद्धालु न केवल नासिक और त्र्यंबकेश्वर के दर्शन करेंगे, बल्कि शिर्डी, वणी, शनि शिंगणापुर, और मंगितुंगी जैसे पास के धार्मिक स्थलों की यात्रा भी करेंगे। इसके लिए एक धार्मिक कॉरिडोर बनाने की योजना है। यह कॉरिडोर श्रद्धालुओं के लिए यात्रा को और सुगम बनाएगा। साथ ही, गोदावरी नदी में साफ पानी का प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए विशेष इंतजाम किए जाएंगे, ताकि श्रद्धालु स्वच्छ जल में स्नान कर सकें।
यह मेला आस्था का एक ऐसा उत्सव होगा, जो तकनीक की चमक से और खास बन जाएगा। सरकार ने एक कुंभ मेला प्राधिकरण बनाने का फैसला किया है, जो सभी विभागों के बीच समन्वय बनाएगा। इस प्राधिकरण को कानूनी ढांचा देने के लिए एक विशेष कानून बनाया जाएगा। यह प्राधिकरण मेले की तैयारियों को तेजी से पूरा करने में मदद करेगा।