महाराष्ट्र

Slum Rehabilitation: महाराष्ट्र झुग्गी क्षेत्र अधिनियम में बदलाव, पुनर्वास को मिलेगी तेजी

Slum Rehabilitation: महाराष्ट्र झुग्गी क्षेत्र अधिनियम में बदलाव, पुनर्वास को मिलेगी तेजी

Slum Rehabilitation: महाराष्ट्र से एक ऐसी खबर आई है, जो नई पीढ़ी के लिए उम्मीद की किरण बन सकती है। राज्य की सरकार ने झुग्गियों को हटाने और वहां रहने वालों के लिए बेहतर जिंदगी का सपना पूरा करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में कैबिनेट ने “महाराष्ट्र झुग्गी क्षेत्र अधिनियम” (Maharashtra Slum Areas Act) में बदलाव को मंजूरी दी है। यह फैसला झुग्गी पुनर्वास (Slum Rehabilitation) को तेज करने और महाराष्ट्र को झुग्गी-मुक्त बनाने के लिए लिया गया है। आइए, इस खबर को आसान और रोचक तरीके से समझते हैं कि यह कैसे काम करेगा और इससे क्या बदलाव आएगा।

पहले की बात करें तो जब कोई जमीन झुग्गी क्षेत्र घोषित होती थी, तो मालिक, डेवलपर या वहां की सहकारी समिति को पुनर्वास का प्रस्ताव देने के लिए 120 दिन का समय मिलता था। लेकिन कई बार यह समय बहुत लंबा हो जाता था और काम शुरू होने में देरी होती थी। अब नए नियमों के तहत यह समय घटाकर 60 दिन कर दिया गया है। अगर इन 60 दिनों में कोई प्रस्ताव नहीं आया, तो उस जमीन का पुनर्वास दूसरी संस्था को सौंप दिया जाएगा। यह बदलाव “महाराष्ट्र झुग्गी क्षेत्र अधिनियम” (Maharashtra Slum Areas Act) की धारा 15(1) में किया जा रहा है। इससे काम तेज होगा और झुग्गी में रहने वालों को जल्दी घर मिल सकेगा।

मुंबई जैसे बड़े इलाके में झुग्गी पुनर्वास (Slum Rehabilitation) को और आसान बनाने के लिए एक खास नियम जोड़ा गया है। अगर मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन (MMR) में सरकार, अर्ध-सरकारी संस्थाएं या स्थानीय निकाय मिलकर पुनर्वास का काम कर रहे हैं, तो उन्हें जमीन 30 साल के लिए पट्टे पर दी जाएगी। यह जमीन पत्र जारी होने के 30 दिन के अंदर मिलेगी। इससे बैंक या वित्तीय संस्थानों से लोन लेना आसान हो जाएगा। यह नियम नई धारा 15-ए के तहत लागू होगा। सोचिए, इससे कितने परिवारों को जल्दी घर मिलेगा और उनकी जिंदगी में स्थिरता आएगी।

कई बार ऐसा होता है कि कुछ लोग पुनर्वास योजना में हिस्सा नहीं लेना चाहते। पहले इसके लिए कोई साफ नियम नहीं था, लेकिन अब धारा 33-ए में इसकी पूरी प्रक्रिया बताई जाएगी। मिसाल के तौर पर, मान लीजिए कोई परिवार अपनी झुग्गी छोड़ना नहीं चाहता, तो सरकार और डेवलपर उनके साथ बातचीत करेंगे और रास्ता निकालेंगे। यह कदम दिखाता है कि सरकार हर किसी की परेशानी को समझना चाहती है। आज की पीढ़ी, जो बदलाव और पारदर्शिता की उम्मीद करती है, इसे एक सकारात्मक संदेश के तौर पर देख सकती है।

एक और बड़ी समस्या थी कि पुनर्वास के दौरान लोगों को अस्थायी घर देने की बजाय डेवलपर किराया देते हैं। लेकिन कई डेवलपर यह किराया समय पर नहीं देते, जिससे लोगों को परेशानी होती है। अब नई धारा 33-बी के तहत अगर डेवलपर किराया या कोई दूसरा बकाया नहीं देता, तो उसे कानूनी तौर पर वसूला जाएगा। यह वसूली राजस्व कानून के जरिए होगी। इससे झुग्गी में रहने वालों को समय पर मदद मिलेगी और उनकी मुश्किलें कम होंगी। यह सुनकर आपको भी लगेगा कि सरकार छोटी-छोटी बातों का ध्यान रख रही है।

यह बदलाव सिर्फ कागजों पर नहीं है, बल्कि जमीन पर असर डालेगा। मिसाल के तौर पर, मुंबई में लाखों लोग झुग्गियों में रहते हैं। उनके लिए घर का मतलब सिर्फ छत नहीं, बल्कि सम्मान और सुरक्षा भी है। अब जब प्रस्ताव देने का समय कम होगा, तो डेवलपर को जल्दी काम शुरू करना पड़ेगा। साथ ही, सरकारी और निजी संस्थाओं के बीच बेहतर तालमेल से बड़े प्रोजेक्ट भी तेजी से पूरे होंगे। यह खबर नई पीढ़ी के लिए इसलिए खास है, क्योंकि वे एक ऐसे समाज की कल्पना करते हैं जहां हर किसी को बराबर मौका मिले।

इस योजना से महाराष्ट्र के बड़े शहरों में बदलाव की बयार बहेगी। मुंबई, पुणे या ठाणे जैसे इलाकों में जहां झुग्गियां आम हैं, वहां अब नई इमारतें बनेंगी। लोगों को साफ-सुथरे घर, पानी, बिजली और सड़क जैसी सुविधाएं मिलेंगी। यह सिर्फ पुनर्वास का मसला नहीं है, बल्कि एक बेहतर भविष्य की नींव है। सरकार का यह कदम दिखाता है कि वह पुरानी समस्याओं को हल करने के लिए नए तरीके अपना रही है। आज का युवा, जो तकनीक और तेजी से बदलते वक्त के साथ चलता है, इस बदलाव को अपने सपनों से जोड़कर देख सकता है।


#SlumRehabilitation #MaharashtraSlumAct #SlumFreeMaharashtra #FadnavisGovt #HousingForAll

ये भी पढ़ें: Special Abhaya Scheme: महाराष्ट्र की विशेष अभय योजना 2025, सिंधी शरणार्थियों को मिलेगा जमीन का मालिकाना हक

You may also like