महाराष्ट्र के सीएम फडवीस ने हाल ही में एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने शिवसेना और बीजेपी के बीच 2014 में हुए गठबंधन टूटने की अंदरूनी बातें साझा की हैं। सिक्किम के राज्यपाल ओम प्रकाश माथुर के अभिनंदन समारोह में बोलते हुए फडणवीस ने पहली बार इस विवाद और गठबंधन टूटने के कारणों पर खुलकर चर्चा की। आइए जानते हैं कि फडणवीस ने क्या कहा और इस घटना के पीछे की कहानी क्या थी।
गठबंधन टूटने की वजह: सीटों का विवाद
फडणवीस ने बताया कि 2014 में जब गठबंधन की बातचीत शुरू हुई, तो शिवसेना ने अपने मन में ये तय कर लिया था कि वो केवल 151 सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी। दूसरी ओर, बीजेपी का प्रस्ताव था कि वो 127 सीटों पर लड़ेगी, जबकि शिवसेना को 147 सीटें मिलेंगी और बाकी सीटें छोटे सहयोगियों को दी जाएंगी। फडणवीस ने कहा, “हमने बहुत समझाया कि आप 147 सीटों पर लड़ें, हम 127 पर लड़ेंगे। आपका मुख्यमंत्री होगा और हमारा उपमुख्यमंत्री। लेकिन शिवसेना समझौता करने को तैयार नहीं थी। इस वजह से बात आगे नहीं बढ़ पाई।”
“शायद मुझे मुख्यमंत्री बनना था” – फडणवीस
फडणवीस ने मजाकिया अंदाज में आगे कहा, “शायद विधि का विधान यही था कि मुझे मुख्यमंत्री बनना था। लेकिन शिवसेना उस समय कौरवों वाले मूड में आ गई थी। उनका रवैया ऐसा था कि ‘पांच गांव भी नहीं देंगे।’ तो हमने कहा कि हमारे पास श्रीकृष्ण हैं, हम भी लड़ाई लड़ लेंगे। और फिर लड़ाई हो गई।” इस बयान से साफ है कि फडणवीस उस समय के तनाव को हल्के-फुल्के अंदाज में बता रहे थे, लेकिन ये घटना गठबंधन टूटने का बड़ा कारण बनी।
2019 में भी टूटा गठबंधन
फडणवीस ने पुरानी बातों को याद करते हुए 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का जिक्र भी किया। उस समय बीजेपी और शिवसेना ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था और जीत भी हासिल की थी। लेकिन सरकार बनाने को लेकर दोनों के बीच तकरार हो गई। नतीजा ये हुआ कि गठबंधन टूट गया और शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली। ये सरकार करीब ढाई साल तक चली।
शिंदे की बगावत और नई सरकार
कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। कुछ समय बाद शिवसेना में एकनाथ शिंदे और उनके करीबी विधायकों ने बगावत कर दी। इसके चलते शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी की सरकार गिर गई। शिंदे ने बीजेपी के साथ हाथ मिलाया और नई सरकार बनाई। इसके बाद एनसीपी में भी अजित पवार ने बगावत की और वो भी बीजेपी-शिवसेना की सरकार में शामिल हो गए। इस तरह महाराष्ट्र की सियासत में कई बड़े उलटफेर देखने को मिले।
देवेंद्र फडणवीस का ये खुलासा महाराष्ट्र की राजनीति के उस दौर की याद दिलाता है, जब गठबंधन और टूटन ने सियासी समीकरण बदल दिए। 2014 से लेकर 2019 और उसके बाद की घटनाओं ने बीजेपी और शिवसेना के रिश्तों में कई उतार-चढ़ाव देखे। फडणवीस का ये बयान न सिर्फ पुरानी बातों को ताजा करता है, बल्कि ये भी बताता है कि सियासत में छोटी-छोटी बातें बड़े बदलाव ला सकती हैं। आप इस खुलासे के बारे में क्या सोचते हैं? अपनी राय हमें कमेंट में जरूर बताएं।
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