Sonia Gandhi and Rajiv Gandhi Love Story: सोनिया गांधी और राजीव गांधी की प्रेम कहानी भारतीय इतिहास की सबसे चर्चित और खूबसूरत कहानियों में से एक है। यह कहानी केवल दो व्यक्तियों के प्यार की नहीं, बल्कि दो संस्कृतियों, दो परंपराओं, और दो परिवारों के मिलन की है। इस प्रेम कहानी में कई मोड़ और बाधाएं आईं, लेकिन प्यार की ताकत ने हर मुश्किल को पार कर लिया। आइए, इस रोमांचक कहानी को विस्तार से जानते हैं।
कैसे शुरू हुई कहानी?
सोनिया गांधी का जन्म 9 दिसंबर 1946 को इटली के छोटे से कस्बे ओरबासानो में हुआ था। उन्होंने शुरुआती पढ़ाई इटली में की, लेकिन 1965 में इंग्लैंड के कैंब्रिज शहर में उच्च शिक्षा के लिए गईं। वहीं उनकी मुलाकात राजीव गांधी से हुई, जो उस समय मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे।
सोनिया, कैंब्रिज के एक ग्रीक रेस्तरां “वर्सिटी” में नियमित रूप से जाती थीं, जो स्वादिष्ट इटालियन खाना परोसता था। यह रेस्तरां छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय था। एक दिन, राजीव गांधी अपने दोस्त क्रिस्टियन वॉन स्टीगलिज के साथ वहां पहुंचे। यहीं पर पहली बार सोनिया और राजीव की नजरें मिलीं।
पहली मुलाकात का जादू
सोनिया ने अपनी किताब में उल्लेख किया है कि जब उन्होंने पहली बार राजीव को देखा, तो वह उनकी सादगी और शांत स्वभाव से बेहद प्रभावित हुईं। राजीव का व्यक्तित्व दूसरों से बिल्कुल अलग था। वह हमेशा विनम्र और हंसमुख रहते थे।
राजीव को भी सोनिया पहली ही नजर में पसंद आ गईं। उन्होंने अपने दोस्त क्रिस्टियन से आग्रह किया कि वह उनका सोनिया से परिचय कराएं। इस परिचय ने जल्द ही दोस्ती का रूप ले लिया।
प्यार में बढ़ती नजदीकियां
सोनिया और राजीव की दोस्ती कुछ ही दिनों में प्यार में बदल गई। दोनों का एक-दूसरे के साथ समय बिताना उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया। राजीव के पास एक लाल रंग की वॉक्सवैगन कार थी, जिससे वह सोनिया से मिलने जाते थे।
कैंब्रिज में राजीव और सोनिया अक्सर दोस्तों के साथ घूमने जाते थे। कभी वे कार रेसिंग देखने सिल्वरस्टोन जाते, तो कभी लंबी यात्राओं पर निकल पड़ते। उन दिनों, राजीव को फोटोग्राफी का बड़ा शौक था। वह सोनिया की कई तस्वीरें खींचते थे।
इंदिरा गांधी से पहली मुलाकात
राजीव और सोनिया की बढ़ती नजदीकियों के बीच, राजीव ने अपनी मां इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर सोनिया के बारे में बताया। इंदिरा गांधी ने लंदन की यात्रा के दौरान सोनिया से मिलने का फैसला किया।
पहली मुलाकात में, इंदिरा ने सोनिया को सहज महसूस कराने के लिए फ्रेंच भाषा में बात की, क्योंकि सोनिया उस समय अंग्रेजी में उतनी सहज नहीं थीं। यह मुलाकात दोनों के रिश्ते के लिए एक महत्वपूर्ण कदम थी।
सोनिया के परिवार का विरोध
सोनिया और राजीव के रिश्ते को लेकर सोनिया के पिता स्टेफनो को चिंता थी। वह नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी भारत जैसे अनजान देश में जाकर रहे। सोनिया ने जब अपने पिता से शादी की बात की, तो उन्होंने यह रिश्ता स्वीकारने से इनकार कर दिया।
राजीव ने भी सोनिया के पिता से मिलने का निश्चय किया। उन्होंने मेहनत करके पैसे बचाए और 1966 में इटली पहुंचे। सोनिया के पिता को राजीव का स्वभाव पसंद आया, लेकिन वे अब भी इस शादी के लिए तैयार नहीं थे।
शादी के लिए एक शर्त
सोनिया के पिता ने शर्त रखी कि शादी से पहले दोनों को एक साल का इंतजार करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर यह रिश्ता असफल हुआ, तो वह इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। सोनिया और राजीव ने इस शर्त को स्वीकार किया।
बच्चन परिवार का सहयोग
1968 में, जब सोनिया भारत आईं, तो शादी से पहले उन्हें अमिताभ बच्चन के परिवार के साथ ठहराया गया। बच्चन परिवार ने उनका बेहद ख्याल रखा और उन्हें दिल्ली की सैर भी करवाई। बच्चन परिवार का घर सोनिया के लिए अस्थायी मायके जैसा बन गया।
शादी का यादगार दिन
25 फरवरी 1968 को सोनिया और राजीव गांधी का विवाह संपन्न हुआ। यह शादी भारतीय परंपराओं के अनुसार हुई और इसमें नेहरू-गांधी परिवार के करीबी लोग शामिल हुए। यह शादी केवल दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो संस्कृतियों का मिलन थी।
उनकी प्रेम कहानी का संदेश
सोनिया और राजीव की कहानी सच्चे प्यार और समर्पण का उदाहरण है। उन्होंने हर मुश्किल को पार किया और एक मजबूत रिश्ता बनाया। यह कहानी दर्शाती है कि प्यार में बाधाएं चाहे जितनी भी हों, समर्पण और विश्वास से उन्हें दूर किया जा सकता है।