मुंबई पुलिस ने विशेष सरकारी वकील शेखर जागताप के खिलाफ मामला दर्ज किया है। उन पर बॉम्बे हाई कोर्ट, मुंबई सेशंस कोर्ट, और ठाणे जिला सेशंस कोर्ट में धोखाधड़ी करने और सरकारी वकील के तौर पर कई मामलों में पेश होने का आरोप है। आरोप है कि उन्होंने ऐसा एक आरोपी बिल्डर की मदद के लिए किया।
सरकारी वकीलों पर पक्षपात या व्यक्तिगत लाभ के लिए काम करने के आरोप पहले भी लगते रहे हैं। ऐसे मामलों में यह सुनिश्चित करना ज़रूरी होता है कि न्याय व्यवस्था की निष्पक्षता बनी रहे और जाँच के बाद ही किसी को दोषी या निर्दोष माना जाए।
मुंबई पुलिस ने विशेष सरकारी वकील शेखर जागताप के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाज़ी के आरोप में मामला दर्ज किया है। आरोप है कि जागताप ने सरकारी वकील बनकर कई हाई-प्रोफाइल मामलों में पेश होकर एक आरोपी बिल्डर की मदद की। जागताप ने पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह और अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज जबरन वसूली और धोखाधड़ी के कई मामलों में अभियोजन पक्ष (सरकार) का प्रतिनिधित्व किया था।
बिल्डर संजय पुनमिया ने यह FIR दर्ज कराई है। पुनमिया का आरोप है कि RTI के तहत मिली जानकारी के अनुसार, जागताप को सिर्फ मजिस्ट्रेट कोर्ट के स्तर पर इन मामलों में सरकार का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार था। बावजूद इसके, उन्होंने सेशंस कोर्ट और हाई कोर्ट में भी सरकारी वकील के तौर पर पेश होकर पुनमिया को फंसाने और आरोपी बिल्डर की मदद करने की कोशिश की।
जागताप ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को गलत और बेबुनियाद बताया है। उनका कहना है कि उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में FIR को रद्द करवाने के लिए याचिका दायर की है। उनका यह भी कहना है कि उन्होंने सिर्फ संबंधित पुलिस अधिकारियों से नियुक्ति मिलने के बाद ही इन मामलों में सरकारी वकील के रूपोर पर काम किया है।
कोलाबा पुलिस ने IPC की धारा 170, 420, 465, 467, 478, 471, 474, और 120B के तहत जागताप, शमसुंदर अग्रवाल, गृह विभाग के उप-सचिव किशोर भालेराव, और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
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शेखर जागताप के खिलाफ लगे आरोपों की पुलिस द्वारा जाँच की जा रही है। जागताप ने इन आरोपों से इनकार किया है और मामले को रद्द कराने के लिए कोर्ट की शरण ली है। इस मामले के नतीजे से सरकारी वकीलों की भूमिका और न्याय प्रणाली में लोगों का विश्वास बनाए रखने की चुनौती पर भी प्रकाश पड़ेगा।