महाराष्ट्र के शिरडी में स्थित साईं बाबा का मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि यह देश के सबसे अमीर मंदिरों में भी शुमार है। इस बार श्रीरामनवमी उत्सव के दौरान साईं बाबा के भक्तों ने एक बार फिर उदारता की मिसाल कायम की और दान के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। इस खास मौके पर दान पेटी में करीब 5 करोड़ रुपये का चढ़ावा चढ़ाया गया। आइए, इस ब्लॉग में जानते हैं इस उत्सव की पूरी जानकारी और दान के आंकड़े।
तीन दिवसीय श्रीरामनवमी उत्सव का भव्य आयोजन
साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट, शिरडी ने 5 अप्रैल से 7 अप्रैल 2025 तक तीन दिवसीय श्रीरामनवमी उत्सव का आयोजन किया। इस दौरान लगभग ढाई लाख श्रद्धालुओं ने साईं बाबा के दर्शन किए और अपनी श्रद्धा के साथ-साथ दान भी अर्पित किया। संस्थान को इस उत्सव में कुल 4 करोड़ 26 लाख 7 हजार 182 रुपये की दान राशि प्राप्त हुई। यह जानकारी साईं बाबा संस्थान के उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी भिमराज दराडे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साझा की।
दान के आंकड़े: नकद से लेकर सोना-चांदी तक
श्रद्धालुओं ने अलग-अलग माध्यमों से दान दिया, जिसकी विस्तृत जानकारी इस प्रकार है –
दान पेटियों में नकद: 1 करोड़ 67 लाख 89 हजार 078 रुपये
दान काउंटर पर: 79 लाख 38 हजार 830 रुपये
VIP दर्शन और आरती पास: 47 लाख 16 हजार 800 रुपये
ऑनलाइन/डिजिटल माध्यम (चेक, कार्ड, UPI): 1 करोड़ 24 लाख 15 हजार 214 रुपये
सोना: 83.300 ग्राम (कीमत लगभग 6 लाख 15 हजार 782 रुपये)
चांदी: 2030.400 ग्राम (कीमत लगभग 1 लाख 31 हजार 478 रुपये)
इसके अलावा, भक्तों ने सोने-चांदी के आभूषणों के रूप में भी अपनी श्रद्धा व्यक्त की, जिससे मंदिर की संपत्ति में और इजाफा हुआ।
भंडारा और प्रसाद सेवा में भी रिकॉर्ड
साईं बाबा संस्थान ने भक्तों की सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ी। श्री साईं प्रसादालय में 1 लाख 61 हजार 529 श्रद्धालुओं ने प्रसाद भोजन ग्रहण किया। वहीं, 1 लाख 76 हजार 200 भक्तों को मुफ्त बूंदी प्रसाद पैकेट वितरित किए गए। इसके साथ ही, 3 लाख 63 हजार 074 लड्डू प्रसाद पैकेट की बिक्री से संस्थान को 72 लाख 61 हजार 480 रुपये की आय हुई। यह आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि शिरडी में भक्ति और सेवा का संगम कितना अनूठा है।
भक्तों के लिए बेहतरीन व्यवस्था
इतनी बड़ी संख्या में भक्तों के आने के बावजूद साईं बाबा संस्थान ने सभी के लिए उचित व्यवस्था सुनिश्चित की। साईंप्रसाद निवास, साईंबाबा भक्त निवास, द्वारावती, साईंआश्रम और साईं धर्मशाला में ठहरने की सुविधा उपलब्ध कराई गई। इसके अलावा, अस्थायी टेंट भी लगाए गए ताकि किसी भी श्रद्धालु को परेशानी न हो। यह व्यवस्था भक्तों के प्रति संस्थान की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
दान का उपयोग समाज कल्याण के लिए
हर साल नए साल की शुरुआत से लेकर श्रावण मास शुरू होने तक, महाराष्ट्र के कई भक्त साईं बाबा की पालकी यात्रा निकालते हैं और सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर शिरडी पहुंचते हैं। इस दौरान दान में मिली राशि को समाज के उत्थान के लिए उपयोग करने का संकल्प लिया जाता है। भिमराज दराडे ने भक्तों को आश्वासन दिया कि इस दान का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य कल्याणकारी कार्यों के लिए किया जाएगा।
शिरडी क्यों है खास?
शिरडी का साईं बाबा मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अपनी परोपकारिता और भक्तों के प्रति समर्पण के लिए भी जाना जाता है। हर साल लाखों लोग यहां आते हैं और अपनी श्रद्धा के साथ-साथ दान भी अर्पित करते हैं। इस रामनवमी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि साईं बाबा के प्रति भक्तों की आस्था अटूट है।
ये भी पढ़ें: Village That Hates Hanuman: महाराष्ट्र का शैतानी गांव जहां हनुमान जी की पूजा पर है सख्त सजा