Swine Flu In Mumbai: महाराष्ट्र के मौसम में आए दिन होने वाले उतार-चढाव की वजह से लोगों का स्वास्थ काफी ज्यादा प्रभावित होता है. इन दिनों मौसम का मिजाज कुछ ऐसा है कि दिन में गर्मी का एहसास होता है, तो रात में सर्दी का. यही वो मौसम होता है, जो स्वाइनफ्लू (Swine Flu) और H3N2 के संक्रमण को बढ़ावा देने में सहायक होता है. वैसे भी साल 2023 में इन्फ्लूएंजा और स्वाइनफ्लू अपने चरम पर रहा है. आकड़ों पर गौर करें तो पिछले 7 साल की तुलना में इस साल 1196 लोग स्वाइन फ्लू और 686 लोग H3N2 से संक्रमित पाए गए. एक्सपर्ट्स ने ऐसे हालात में मुंबईकरों से एहतियात बरतने की सलाह दी है.
हेल्थ डिपार्टमेंट के रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 में स्वाइन फ्लू (Swine Flu) के सिर्फ 3 केस पाए गए थे. उसके मात्र एक साल बाद, यानी कि साल 2017 में ये आंकड़ा बढ़कर 995 हो गया, जिसमें 17 लोगों की जान तक चली गई थी. उसके बाद फिर साल 2018 में सिर्फ 25 स्वाइन फ्लू के रिपोर्ट दर्ज हुए, जबकि उसके अगले साल 2019 में फिर ये आंकड़ा बढ़ गया और 451 लोग संक्रमित पाए गए, जिनमें 5 लोगों की जान चली गई थी. इसके बाद साल 2020 में 44, जबकि साल 2021 में 64 स्वाइन फ्लू के रिपोर्ट दर्ज हुए.
कोरोना महामारी के बाद से लोगों में जिस तरह स्वास्थ को लेकर जागरुकता बढ़ी है वो काफी सराहनीय है. थोड़ी सी परेशानी होने पर लोग बिना देरी किए अपना इलाज करवा रहे हैं. BMC की रिपोर्ट भी पहले के मुकाबले काफी बेहतर हुई है. ऐसे में करीब सारे मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं.
बीमारी को लेकर और जागरुक हुए लोग
कोविड महामारी के बाद से लोगों काफी जागरुक हो गए हैं. साल 2022 में स्वाइनफ्लू (Swine Flu) के 346 केस रिपोर्ट हुए थे. लेकिन साल 2023 में स्वाइन फ्लू से संक्रमित होने वाले पीड़ितों की संख्या बढ़कर 1200 हो गई. हर साल कभी कम तो कभी ज्यादा होते स्वाइन फ्लू के मामलों को देखते हुए इतना तो कहा जा सकता है कि लोगों को काफी एहतियात बरतने की जरूरत है. खासकर अब, जबकि सर्दी का मौसम शुरु हो चुका है.
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हर 4-5 साल में आती है प्लू की लहर
हालात और डॉक्टरों के मद्देनजर हर 4 से 5 साल में फ्लू की लहर देखी जाती है. दरअसल पिछले काफी समय से यही ट्रेंड चलता आ रहा है. साल 2023 में भी ज्यादा लोग फ्लू से पीड़ित हुए हैं. अच्छी बात ये है कि BMC की रिपोर्टिंग में काफी सुधार हुआ है. तो वहीं लोगों में भी बीमारी को लेकर जारुकता भी बढ़ी है, जिसका नतीजा ये है कि कम मरीजों को ही इस साल अस्पतालों में एडमिट होने की जरूरत पड़ी. घर पर आराम से नॉन एंटिबायोटिट दवाइयां लेकर मरीज रिकवर कर गए.
इन्फ्लूएंजा का बढ़ा खतरा
डॉक्टरों से मिली जानकारी के अनुसार ठंडी के इस मौसम में इन्फ्लूएंजा संक्रमण होने का खतरा ज्यादा है. लोगों को इससे डरने या घबराने की बजाए एहतियात बरतने की आवश्यकता है. साफ-सफाई का खास ध्यान रखें. सुबह को थोड़ी देर के लिए ही सही, लेकिन वॉक जरूर करें. खासकर सांस से संबंधित मरीजों को और ज्यादा एहतियात बरते की आवश्यकता होती है. इनके अलावा गर्भवती महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग को भी ध्यान रखने की जरूरत होती है.
क्या हैं स्वाइन फ्लू के लक्षणऑ?
- तेज बुखार
- मांसपेशियों में दर्द
- गले में दर्द
- थकान
- खांसी
- छींक
- उल्टी वाली फीलिंग
- नाक बहना
- सांस लेने में परेशानी
- थकान महसूस होना
किन्हें रहता है ज्यादा खतरा?
गर्भवति महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग, हृदय या फेफड़ों की बामारी से पीड़ित लोग, मोटापा और मधुमेह इत्यादि से पीड़ित लोगों को स्वाइनफ्लू के प्रति और ज्यादा सजग रहने की आवश्यकता होती है, क्योंकि ऐसे लोगों में संक्रमण होने का खतरा ज्यादा रहता है.
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