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टॉकचार्ज वॉलेट स्कैम: गुरुग्राम में 5,000 करोड़ का घोटाला,कैसे कैशबैक के जाल में फंसे लोग

टॉकचार्ज वॉलेट स्कैम: गुरुग्राम में 5,000 करोड़ का घोटाला,कैसे कैशबैक के जाल में फंसे लोग

टॉकचार्ज वॉलेट स्कैम:2024 में सामने आए टॉकचार्ज स्कैम ने भारत के वित्तीय परिदृश्य को हिला कर रख दिया। गुरुग्राम स्थित इस फर्म ने लोगों को कैशबैक और भारी रिटर्न का लालच देकर एक पोंजी स्कीम का जाल बुना और सैकड़ों लोगों को उनकी मेहनत की कमाई से ठग लिया। यह घोटाला लगभग 5,000 करोड़ रुपए तक का बताया जा रहा है। टॉकचार्ज, जिसे एक वॉलेट और पेमेंट ऐप के रूप में प्रचारित किया गया, ने कई लोगों को आकर्षक कैशबैक और फर्जी ऑफर्स देकर अपनी ओर खींचा। कंपनी अप्रैल 2024 में अचानक बंद हो गई, जिससे यूजर्स को भारी नुकसान उठाना पड़ा।


टॉकचार्ज कैसे फंसा यूजर्स को

टॉकचार्ज की शुरुआत एक सामान्य पेमेंट ऐप के रूप में हुई, लेकिन जल्द ही यह निवेशकों को ठगने की योजना में बदल गई। ऐप ने कई आकर्षक ऑफर पेश किए, जैसे कि 4,999 रुपए की जमा राशि पर 1,666 रुपए का कैशबैक और 59,999 रुपए के निवेश पर बैंक अकाउंट में 7,50,000 रुपए तक का कैशबैक। लोगों ने भारी मुनाफे के सपने देख कर इसमें पैसे लगाना शुरू किया। लेकिन 2023 के मध्य से कंपनी ने अनियमितताओं के संकेत देने शुरू कर दिए। जुलाई 2023 में कंपनी ने 20% सर्विस चार्ज लगाना शुरू किया, और जनवरी 2024 तक, ग्राहकों के पैसे फंसने लगे।


पीड़ितों की कहानियां: बर्बाद भविष्य और कर्ज का बोझ

टॉकचार्ज स्कैम से पीड़ित हुए सैकड़ों लोग अपनी मेहनत की कमाई खो बैठे। दौसा, राजस्थान के रहने वाले रामअवतार शर्मा ने बताया कि उन्होंने अपनी सारी बचत इस ऐप में लगा दी थी, और यहां तक कि बैंकों से कर्ज भी लिया। शर्मा का वॉलेट बैलेंस 1.19 करोड़ रुपए था, जिसे वह कभी नहीं निकाल पाए। अब उन्हें बैंकों के फोन कॉल्स और EMI न चुका पाने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इसी तरह कई छोटे व्यापारी, बड़े अधिकारी और आम लोग इस घोटाले के शिकार बने। एक मल्टी नेशनल कंपनी के CFO से लेकर छोटे दुकानदार तक, सबने अपनी जमा पूंजी इस स्कैम में खो दी।


क्या था टॉकचार्ज का असली मकसद?

टॉकचार्ज के पीछे छिपा असली मकसद था लोगों को फर्जी ऑफर्स के जरिए लुभाकर पैसे ठगना। इस घोटाले के पीछे अंकुश कटियार और उसकी टीम का हाथ था, जिन्होंने बड़ी चालाकी से निवेशकों को मोटे रिटर्न का लालच दिया। टॉकचार्ज के को-फाउंडर शिवानी माहेश्वरी पर भी सवाल उठ रहे हैं, जो कई स्टार्टअप्स में वेंचर कैपिटलिस्ट के रूप में निवेश कर रही थीं।

कंपनी का अंत: अंकुश कटियार की गिरफ्तारी

जब घोटाले की पोल खुलने लगी, तो गुरुग्राम पुलिस ने कटियार को गिरफ्तार कर लिया। इस केस में कई एफआईआर दर्ज हैं और अब जांच जारी है। RBI, SEBI, और अन्य सरकारी एजेंसियों के पास भी कई शिकायतें दर्ज हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

यह घोटाला एक बड़ा सबक है कि लोगों को कैसे आकर्षक रिटर्न का लालच देकर ठगा जा सकता है, और इसने हमारे रेगुलेटरी सिस्टम की भी पोल खोली है।

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