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Thane Illegal Hostel: थाणे में अवैध हॉस्टल से 29 बच्चों का दिल दहलाने वाला रेस्क्यू, पाँच पर केस दर्ज

Thane Illegal Hostel: थाणे में अवैध हॉस्टल से 29 बच्चों का दिल दहलाने वाला रेस्क्यू, पाँच पर केस दर्ज

Thane Illegal Hostel: थाणे, महाराष्ट्र का एक ऐसा शहर जो अपनी चहल-पहल और तेजी से बढ़ते विकास के लिए जाना जाता है, हाल ही में एक दिल दहला देने वाली घटना की वजह से सुर्खियों में आया। खडावली में एक अवैध हॉस्टल (Illegal Hostel) से 29 बच्चों को बचाया गया है। इनमें 20 लड़कियाँ और 9 लड़के शामिल हैं। यह घटना तब सामने आई, जब चाइल्ड हेल्पलाइन को शिकायत मिली कि इस हॉस्टल में बच्चों के साथ दुर्व्यवहार (Child Abuse) हो रहा है। आइए, इस कहानी को और करीब से जानते हैं कि कैसे यह सच्चाई सामने आई और प्रशासन ने क्या कदम उठाए।

एक शिकायत ने खोला राज

बात गुरुवार की है, जब चाइल्ड हेल्पलाइन के पास एक कॉल आई। कॉल करने वाले ने बताया कि खडावली में पासायदान विकास संस्था नाम के एक हॉस्टल में बच्चों के साथ मारपीट और यौन शोषण जैसी गंभीर घटनाएँ हो रही हैं। इस शिकायत ने प्रशासन को तुरंत हरकत में ला दिया। जिला महिला एवं बाल विकास विभाग की एक टीम ने पुलिस के साथ मिलकर शुक्रवार को इस संस्था का दौरा किया। वहाँ जो देखने को मिला, वह किसी के भी रोंगटे खड़े कर देने वाला था।

बच्चों से बात करने के बाद यह साफ हो गया कि शिकायत में कही गई बातें सच थीं। बच्चों ने बताया कि उनके साथ गलत व्यवहार किया जाता था। यह सुनकर अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। पुलिस ने 20 लड़कियों और 9 लड़कों को सुरक्षित निकाला और उन्हें बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया। इन बच्चों में से कुछ खडावली के जिला परिषद स्कूल में पढ़ते हैं। उनकी परीक्षाएँ नजदीक होने की वजह से शिक्षा विभाग ने विशेष इंतजाम करने की बात कही है, ताकि उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो।

अवैध हॉस्टल की सच्चाई

पासायदान विकास संस्था का यह हॉस्टल बिना किसी वैध अनुमति के चल रहा था। बाहर से देखने में यह बच्चों के लिए एक सामान्य आवासीय संस्था लगती थी, लेकिन अंदर की हकीकत कुछ और थी। इस हॉस्टल में बच्चों को न सिर्फ शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था, बल्कि उनके साथ यौन शोषण जैसे जघन्य अपराध भी हो रहे थे। यह खुलासा उस समाज के लिए एक बड़ा झटका है, जो बच्चों को अपना भविष्य मानता है।

जांच में यह भी सामने आया कि इस संस्था का संचालन करने वाले लोग बाहरी दुनिया से बच्चों को अलग-थलग रखते थे। बच्चों को अपनी बात कहने का मौका नहीं दिया जाता था। शायद यही वजह थी कि इतने समय तक यह गलत काम चलता रहा। लेकिन एक शिकायत ने इस अंधेरे को उजागर कर दिया।

कानूनी कार्रवाई और जिम्मेदार लोग

पुलिस ने इस मामले में तुरंत कदम उठाया और पाँच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया। इनमें हॉस्टल के डायरेक्टर, उनके दो परिवार वाले और दो अन्य लोग शामिल हैं। इन पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 और प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंसेस (POCSO) एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ है। यह कानून बच्चों के साथ होने वाले अपराधों के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान करते हैं।

जिला कलेक्टर अशोक शिंगारे ने इस घटना पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा और कल्याण प्रशासन की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। साथ ही, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी संतोष भोसले ने लोगों से अपील की कि अगर उन्हें ऐसे किसी अवैध हॉस्टल या बच्चों के साथ दुर्व्यवहार की जानकारी मिले, तो वे तुरंत शिकायत करें। यह अपील उस समाज के लिए एक संदेश है, जो बच्चों के हक के लिए एकजुट होने की जरूरत को समझता है।

बच्चों का भविष्य और प्रशासन की जिम्मेदारी

बचाए गए बच्चों को अब सुरक्षित जगह पर रखा गया है। बाल कल्याण समिति उनकी देखभाल कर रही है और यह सुनिश्चित कर रही है कि उन्हें कोई और तकलीफ न हो। इन बच्चों में से कई अपनी पढ़ाई पूरी करने की राह पर हैं। शिक्षा विभाग ने वादा किया है कि उनकी परीक्षाओं के लिए हर संभव मदद की जाएगी। यह कदम उन बच्चों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है, जिन्होंने इतना कुछ सहा है।

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि आखिर कितने और ऐसे हॉस्टल बिना अनुमति के चल रहे हैं। बच्चों के नाम पर चलने वाली संस्थाएँ क्या वाकई उनकी भलाई के लिए काम कर रही हैं, या यह सिर्फ एक धंधा बन गया है? यह सवाल हर उस इंसान के लिए है, जो बच्चों को समाज का सबसे कीमती हिस्सा मानता है।

एक कॉल ने बदली जिंदगियाँ

यह पूरी घटना उस एक शिकायत से शुरू हुई, जिसने 29 बच्चों की जिंदगी को नया मोड़ दिया। चाइल्ड हेल्पलाइन की तत्परता और प्रशासन की तेजी ने न सिर्फ बच्चों को बचाया, बल्कि दोषियों को सजा दिलाने की राह भी खोली। यह कहानी हमें बताती है कि एक छोटा-सा कदम कितना बड़ा बदलाव ला सकता है।

थाणे की इस घटना ने समाज को झकझोर कर रख दिया है। यह हमें याद दिलाती है कि बच्चों की सुरक्षा सिर्फ कानून का काम नहीं, बल्कि हम सबकी जिम्मेदारी है।


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