ब्रिटेन में एक मेडिकल कांड ने हजारों लोगों की जान ले ली और सरकार ने इसे छुपाने की कोशिश की। ये कांड था दूषित खून चढ़ाने का, जिससे मरीजों को एचआईवी और हेपेटाइटिस जैसी जानलेवा बीमारियां हो गई।
दरअसल ये कांड 1970 और 80 के दशक में हुआ था, जब नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) के तहत मरीजों को बिना जांच के दूषित खून चढ़ाया गया। सरकार ने अपनी गलती छुपाई और लोगों को मुआवजा देने में भी आनाकानी की।
क्या था ये खून कांड?
हीमोफीलिया के मरीजों को फैक्टर VIII नाम की दवा दी जाती थी, जो कई लोगों के खून से बनती थी। कुछ लोगों के खून में एचआईवी और हेपेटाइटिस के वायरस थे, जो दवा के जरिए दूसरों में फैल गए।
खून चढ़ाने से भी ये बीमारियां फैलीं।
करीब 3000 लोगों की मौत हुई, कई जिंदगी भर के लिए बीमार हो गए।
क्यों हुआ ये कांड?
सरकार ने सस्ते में खून खरीदने के लिए अमेरिका से आयात किया, जहां कैदियों और ड्रग एडिक्ट्स का खून इस्तेमाल होता था। खून की सही से जांच नहीं की गई और न ही लोगों को इसके खतरों के बारे में बताया गया। डॉक्टरों ने भी लापरवाही बरती और मरीजों को बिना सोचे-समझे खून चढ़ा दिया।
सरकार ने क्या किया?
सरकार ने अपनी गलती मानने से इनकार कर दिया और मामले को दबाने की कोशिश की। पीड़ितों को मुआवजा देने में भी कई साल लग गए। अब हाल ही में एक जांच रिपोर्ट आई है, जिसमें सरकार की लापरवाही साबित हुई है।
क्या हैं इसके सबक?
खून की जांच जरूरी है, नहीं तो जानलेवा बीमारियां फैल सकती हैं।
सरकार को अपनी गलतियों को छुपाने की बजाए उन्हें सुधारना चाहिए।
मरीजों को अपने इलाज के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए।
ये कांड दिखाता है कि कैसे लालच और लापरवाही से लोगों की जान जा सकती है। ये हमें सिखाता है कि हमें अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना चाहिए और सरकार से जवाबदेही की मांग करनी चाहिए।
इस कांड के बारे में एक फिल्म भी बनी है, जिसका नाम है “The Bleeder.” इसमें दिखाया गया है कि कैसे एक पत्रकार ने इस कांड का पर्दाफाश किया।
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