ऑनटीवी स्पेशल

वो देश जहां के राजाओं को माना जाता है राम का वंशज, रामायण है राष्ट्रीय ग्रंथ, गरुड़ प्रतीक चिह्न

राम
Image Source - Web

दुनिया में कई देश हैं जहां संस्कृति और परंपराओं में विविधता देखी जा सकती है, लेकिन थाईलैंड उन देशों में से एक है, जहां रामायण राष्ट्रीय ग्रंथ (Ramayana national epic) के रूप में मानी जाती है। यहां के राजा खुद को भगवान राम का वंशज मानते हैं और उनकी उपाधि में ‘राम’ का नाम जुड़ा होता है। ये देश, जो मुख्य रूप से बौद्ध धर्म का पालन करता है, हिंदू धर्म के प्रतीकों और मान्यताओं से भी गहराई से जुड़ा हुआ है।

चक्री वंश के राजा और ‘राम’ की उपाधि
थाईलैंड के मौजूदा शासक महा वजिरालोंगकोर्न को ‘राम दशम’ कहा जाता है। ये प्रथा चक्री वंश के छठे राजा वजिरावुध के समय शुरू हुई, जब उन्होंने ब्रिटिश राजाओं की तरह अपने नाम में अंक जोड़ने की परंपरा अपनाई। थाईलैंड के राजा राम (Thailand kings named Ram) का ये चलन दिखाता है कि वहां के राजघराने पर रामायण और भारतीय संस्कृति का कितना गहरा प्रभाव है। वजिरावुध ने खुद को ‘राम सिक्स्थ’ नाम दिया और ये परंपरा अब तक चली आ रही है।

रामायण का थाई संस्करण ‘राम-कियेन’
थाईलैंड में रामायण को ‘राम-कियेन’ कहा जाता है, जिसका अर्थ ‘राम कीर्ति’ है। ये ग्रंथ वाल्मीकि रामायण पर आधारित है, लेकिन इसमें कुछ सांस्कृतिक भिन्नताएं हैं। थाईलैंड में राम-कियेन के पात्रों और कथानक का प्रदर्शन नाटक और कठपुतलियों के माध्यम से किया जाता है। इस ग्रंथ में रावण को ‘थोत्सकान’ और हनुमान को ‘हनुमान’ ही कहा जाता है।

राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न है गरुड़
थाईलैंड का राष्ट्रीय प्रतीक गरुड़ है, जिसे हिंदू धर्म में भगवान विष्णु का वाहन माना जाता है। यहां तक कि थाई संसद के बाहर गरुड़ की विशाल प्रतिमा है। ये प्रतीक थाईलैंड की धार्मिक विविधता और उसकी जड़ों को भारतीय संस्कृति से जोड़ता है।

अयोध्या का थाई संस्करण ‘अयुत्या’
थाईलैंड में अयुत्या नामक एक ऐतिहासिक शहर है, जिसे रामायण की अयोध्या का समकक्ष माना जाता है। ये शहर 1351 से 1767 तक स्याम साम्राज्य की राजधानी रहा। आज इसके अवशेष यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं। यहां अयोध्या की तरह ही रामायण की कहानियों का प्रभाव स्पष्ट दिखता है।

हिंदू परंपराओं का सम्मान
थाईलैंड की संस्कृति में ब्रह्मा, विष्णु और शिव के मंदिर आम हैं। राम-कियेन, गरुड़, और अयुत्या जैसी परंपराएं इस देश को भारतीय संस्कृति से गहरे से जोड़ती हैं। ये एक ऐसा देश है, जहां बौद्ध और हिंदू मान्यताओं का खूबसूरत संगम देखने को मिलता है।

ये भी पढ़ें: Nuclear Ban: अमेरिका हटाने जा रहा परमाणु प्रतिबंध, उससे क्या होगा भारत को फायदा

You may also like