महाराष्ट्र की मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना ने लाखों महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता की नई राह दिखाई है, लेकिन अब इस योजना को और मजबूत करने के लिए सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। सभी लाभार्थी महिलाओं के लिए ई-केवाईसी अनिवार्य कर दी गई है, और इसके लिए दो महीने का समय दिया गया है। महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने इस कदम को पारदर्शिता की दिशा में एक मील का पत्थर बताया है। ये न केवल योजना को साफ-सुथरा बनाएगा, बल्कि ये भी सुनिश्चित करेगा कि सही महिलाओं तक इसका लाभ पहुंचे।
ई-केवाईसी: सरल प्रक्रिया, बड़ा मकसद
अदिति तटकरे ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “हमने योजना की सभी लाभार्थी महिलाओं के लिए https://ladakibahin.maharashtra.gov.in/ पर ई-केवाईसी की सुविधा शुरू की है। ये प्रक्रिया बेहद सरल और सुविधाजनक है। मैं सभी से अनुरोध करती हूं कि अगले दो महीनों में इसे पूरा करें।” उन्होंने बताया कि ये कदम योजना में पारदर्शिता लाने के साथ-साथ भविष्य में अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में भी मददगार होगा। ये एक ऐसा कदम है, जो ये सुनिश्चित करेगा कि हर पात्र महिला को बिना किसी रुकावट के 1,500 रुपये की मासिक सहायता मिले।
मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीण योजना : पारदर्शकतेला सर्वोच्च प्राधान्य !
मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीण योजनेतील सर्व लाभार्थी भगिनींसाठी https://t.co/gBViSYZxcm या वेब पोर्टलवर e-KYC सुविधा उपलब्ध करून देण्यात आली आहे. योजनेच्या सर्व लाभार्थी भगिनींनी आजपासून पुढील २ महिन्यांच्या आत…
— Aditi S Tatkare (@iAditiTatkare) September 18, 2025
महिलाओं का सहारा
जुलाई 2024 में शुरू हुई ये योजना 21 से 65 साल की उन महिलाओं के लिए वरदान साबित हुई है, जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2.25 करोड़ महिलाएं इस योजना से लाभान्वित हो रही हैं। ये योजना न केवल आर्थिक मदद देती है, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का हौसला भी देती है। लेकिन इस नेक मकसद को कुछ लोगों ने फर्जीवाड़े से दागदार करने की कोशिश की।
पुरुष भी बने लाभार्थी!
योजना के ऑडिट के दौरान एक हैरान करने वाला खुलासा हुआ। करीब 14,000 पुरुषों ने फर्जी आधार कार्ड और दस्तावेजों के जरिए खुद को महिला बताकर इस योजना का लाभ उठाया। इस धांधली से सरकारी खजाने को 21.44 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इतना ही नहीं, कई ऐसी महिलाएं, जो सरकारी नौकरी में हैं या आर्थिक रूप से संपन्न हैं, उन्होंने भी गलत तरीके से इस योजना का फायदा उठाया। इन घटनाओं ने सरकार को सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर किया, और यही वजह है कि ई-केवाईसी को अनिवार्य किया गया।
ये घटना हमें ये सोचने पर मजबूर करती है कि एक नेक योजना, जो लाखों महिलाओं के सपनों को पंख दे रही है, उसे फर्जीवाड़े का शिकार क्यों बनना पड़ा? ई-केवाईसी का ये कदम न केवल योजना को सुरक्षित करेगा, बल्कि ये भी सुनिश्चित करेगा कि सिर्फ पात्र महिलाओं तक ही इसका लाभ पहुंचे। ये उन महिलाओं के लिए एक उम्मीद की किरण है, जो अपने परिवार और सपनों को संवारने के लिए दिन-रात मेहनत करती हैं।
ये भी पढ़ें: NCP चिंतन शिविर: अजित पवार ने बताया क्यों छोड़ा शरद पवार का साथ































