एनसीपी के भीतरी विभाजन और पवार परिवार में दरार के बीच, दोनों गुट जीतने वाले उम्मीदवारों की तलाश में गहन प्रयास कर रहे हैं।
शरद पवार और अजित पवार के बीच एनसीपी के विभाजन ने पार्टी के आधार को कमजोर किया है। इस विभाजन ने न केवल पार्टी के नेताओं को बल्कि समर्थकों को भी दो खेमों में बांट दिया है।
अजित पवार की एनसीपी को मिलने वाली सीटों की संख्या और शरद पवार की एनसीपी (एसपी) को मिलने वाली संभावित सीटों के बीच तुलना करते हुए, दोनों गुटों ने अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है। हालांकि, अभी तक जीतने वाले उम्मीदवारों की पहचान करने में दोनों पक्षों को कठिनाई हो रही है।
इस विभाजन से उत्पन्न असमंजस के बावजूद, शरद पवार के वफादार समर्थक अभी भी उनके साथ खड़े हैं। यह विभाजन एनसीपी के लिए एक नई चुनौती पेश करता है, जिसका सामना करने के लिए पार्टी को अपनी रणनीति में बदलाव करने की आवश्यकता है।
एनसीपी (एसपी) ने बारामती, शिरूर, वर्धा, दिंडोरी, और अहमदनगर दक्षिण सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिससे इन क्षेत्रों में चुनावी दंगल और भी रोमांचक हो गया है।