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कारगिल की अनकही दास्तान: 25 साल पहले PAK आर्मी कैप्टन की पॉकेट में डाली गई पर्ची का रहस्य

कारगिल, सतपाल सिंह

25 साल पहले हुए कारगिल युद्ध की कहानियाँ आज भी सुनने वालों के रोंगटे खड़े कर देती हैं। उन बहादुर सैनिकों में से एक थे सतपाल सिंह, जो 8 सिख रेजिमेंट के सिपाही थे। युद्ध के दौरान, सतपाल सिंह ने दुश्मन की AK-47 से चार गोलियां लगने के बावजूद बहादुरी से लड़ाई लड़ी और पाकिस्तानी सेना के कैप्टन शेर खान को मार गिराया।

सतपाल सिंह की कहानी

सतपाल सिंह 2009 में सेना से रिटायर हो गए। इसके बाद उन्होंने पंजाब पुलिस में ट्रैफिक कांस्टेबल के रूप में काम किया। 2019 में मीडिया रिपोर्टों ने उनकी स्थिति को उजागर किया, जिसके बाद उन्हें सहायक उप-निरीक्षक (ASI) के पद पर पदोन्नति मिली।

The untold story of Kargil: The mystery of the slip put in the pocket of PAK Army Captain 25 years ago

टाइगर हिल की लड़ाई

टाइगर हिल, कारगिल क्षेत्र की सबसे ऊंची चोटियों में से एक, पर पाकिस्तानी सेना का कब्जा था। इसे वापस जीतने का मिशन 8 सिख रेजिमेंट को सौंपा गया था। सतपाल सिंह और उनकी टीम, जिसमें 52 सैनिक थे, ने 4 जुलाई 1999 की रात को हमला किया और अगले दिन ‘बोले सो निहाल, सत श्री अकाल’ के नारों के बीच टाइगर हिल पर कब्जा कर लिया।

शेर खान से आमना-सामना

सतपाल सिंह बताते हैं कि 6 जुलाई की सुबह पाकिस्तानी सेना ने जवाबी हमला किया। उन्होंने बहादुरी से लड़ाई लड़ी और पाकिस्तानी सैनिकों को पीछे धकेल दिया। उसी दिन, कैप्टन शेर खान ने फिर से हमला किया। सतपाल सिंह ने शेर खान को ट्रैक सूट में देखा और दोनों के बीच पांच मिनट तक गोलीबारी हुई। सतपाल सिंह को AK-47 से चार गोलियां लगीं, लेकिन उन्होंने शेर खान और उसके तीन गार्डों को मार गिराया।

सतपाल सिंह की बहादुरी

इस लड़ाई में सतपाल सिंह की टीम के 18 जवान शहीद हो गए, लेकिन उन्होंने 85 से अधिक दुश्मनों को मार गिराया। सतपाल सिंह ने अपने पिता से युद्ध की भावना विरासत में पाई थी, जिन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध में लड़ाई लड़ी थी। सतपाल ने शेर खान की बहादुरी को भी सराहा और उनके कमांडर ने शेर खान की जेब में एक पर्ची डाल दी, जिसमें लिखा था कि उसने बहादुरी से लड़ाई लड़ी।

कारगिल युद्ध का प्रभाव

सतपाल सिंह की कहानी कारगिल युद्ध की कई अद्वितीय कहानियों में से एक है। यह बताता है कि हमारे सैनिकों ने कितनी बहादुरी से लड़ाई लड़ी और देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। सतपाल सिंह आज भी उन बहादुर सैनिकों में से एक हैं, जिनकी कहानी हर भारतीय को गर्व से भर देती है।

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